कुछ लोग अपने आप को खुश करने या इमोशन्स को मैनेज करने के लिए शॉपिंग पर निकल पड़ते हैं। ये थोड़ी देर के लिए अच्छा लग सकता है, मगर ये आपकी मेंटल हेल्थ को दूरगामी नुकसान पहुंचाता है। बेवजह की खरीदारी पर पैसे बर्बाद करना एक कॉमन फाइनेंशियल मिस्टेक है।
इमोशन्स को मैनेज करने का सबका अपना अलग–अलग तरीका होता है। कुछ लोग उदास या तनाव में होने पर ओवरईटिंग करते हैं, कुछ सैलून में चले जाते हैं, तो कुछ शॉपिंग करना शुरू कर देते हैं। अपने इमोशन्स को मैनेज करने के लिए की जा रही फिजूल की खरीदारी को शॉपिंग सिंड्रोम (Shopping syndrome) कहा जाता है। और यह किसी के लिए भी मुश्किल भरा हो सकता है। अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रही हैं, तो जानिए कैसे किया जा सकता है फिजूल की खरीदारी (How to control shopping syndrome) को कंट्रोल।
क्यों खतरनाक हो सकता है शाॅपिंग सिंड्रोम
फील गुड हॉर्मोन के लिए शॉपिंग करना एक अच्छा आइडिया लग सकता है। मगर यह न केवल आपका बजट बिगाड़ सकता है, बल्कि भविष्य में फाइनेंशियल स्ट्रेस का भी कारण बन सकता है।
आज के समय में पैसे बचाना बहुत मुश्किल काम है। बढ़ती महंगाई और बदलती जीवनशैली के बीच वित्तीय स्थिति को मेंटेंन रखना बहुत कठिन हो सकता है। इसके अलावा कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो फिजूल में पैसे बर्बाद करते रहते हैं। वे जब भी किसी जगह घूमने जाते हैं तो ऐसी वस्तुओं की खरीदी करते हैं जिनकी उन्हें जरूरत भी नहीं होती है। लेकिन समझदारी और अनुशासन से आप अपने खर्चों को कम कर सकते हैं और सहजता के साथ पैसे भी बचा सकते हैं।
हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिनसे आप शॉपिंग सिंड्रोम (Shopping syndrome) को कंट्रोल कर अपने पैसे बचा सकते हैं। साथ ही बेवजह की खरीदी की आदत भी दूर हो जाएगी। इनमें से सबसे प्रमुख कार्य है बजट बनाना। तो आइए जानते हैं कि आखिर बजट बनाना क्यों जरूरी है।
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बजट बनाना और फिजूलखर्ची से बचना क्यों जरूरी है?
आर्थिक स्थिरता
सही बजट और बचाए हुए पैसे से आप अपनी आय और खर्चों पर नियंत्रण रख सकते हैं. इससे वित्तीय संकट से बचा जा सकता है। इसके अलावा अपनी कुल मासिक आय और खर्चों को एक सूची में रखें। इससे आपको यह जानकारी मिलेगी कि कहां पर कटौती की जा सकती है।
फिजूल खर्चों पर संतुलन
सही बजट बनाने से अनावश्यक खर्चों (Shopping syndrome) पर नजर रखना आसान होता है। यह फिजूल खर्चों को रोकने और बचत बढ़ाने में आपके लिए सहायक हो सकता है। साथ ही हर महीने अपनी आय का कम से कम 20% बचत के रूप में रखें। इसे पहले ही अलग कर लें ताकि दूसरे खर्चों में न लगे।
आकस्मिक खर्चों के लिए तैयार रहना
बजट में आकस्मिक खर्चों के लिए अलग से धन रखना चाहिए। इससे अप्रत्याशित खर्च से वित्तीय बोझ नहीं बढ़ता। यदि आपने योजना नहीं बनाई है, तो ऐसे में आपात स्थितियों के कारण आपको वित्तीय रूप से बड़ा झटका लग सकता है। इसके लिए आपको तैयार रहना चाहिए क्योंकि आपात स्थितियाँ कभी भी उत्पन्न हो सकती हैं।
दीर्घकालिक निवेश के लिए मार्गदर्शन
सही बजट से आप अपनी बचत (Shopping syndrome) और निवेश को सही कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं. यह भविष्य में संपत्ति निर्माण में मदद कर सकता है। अगर आप सही और लंबे समय के लिए निवेश करते हैं, तो आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। क्योंकि निवेश ऐसी योजना है जो एक तय अवधि में धन प्राप्ति के उद्देश्य से निवेश विकल्पों के लिए अपने संसाधनों को आवंटित करने में आपका मार्गदर्शक बनता है।
शॉपिंग सिंड्रोम या फिजूल की खरीदारी करने से कैसे बचें (How to control shopping syndrome)
बजट बनाएं
बेवजह के खर्चों की आदत खत्म करने के लिए सबसे पहले बजट बनाएं जिसमें आपके मासिक खर्चे और मासिक आय की पूरी सूची हो। सबसे पहले अपने सभी जरूरी खर्चे जैसे कि किराने का सामान, इलेक्ट्रिसिटी बिल, बच्चों की पढ़ाई, रूम का किराया आदि और अपने बचत लक्ष्य को लिखकर रखें। अब आप किसी भी नए सामान की खरीदारी करने से पहले अपने बजट की जाँच करके सुनिश्चित करें कि क्या आप उन्हें खरीद सकते हैं कर सकते हैं या नहीं।
फाइनेंशियल गोल निर्धारित करें
अपने फाइनेंशियल गोल को निर्धारित करने से खर्चो को प्राथमिकता देना बेहद सहज हो जाता है। यह बेकार के खर्चों को रोकने के लिए एक अच्छे मोटीवेटर की तरह कार्य करता है। चाहे वह आपके ड्रीम वेकेशन के लिए सेविंग हो, या फिर (Shopping syndrome) रिटायरमेंट के लिए। लेकिन एक स्पेसिफिक ऑब्जेक्टिव रखने से आपको ट्रैक पर बने रहने में मदद मिलेगी।
एक स्मार्ट शॉपर बनें
यदि आप कोई ऐसी चीज खरीद रहे हैं, जिसकी आपको ज्यादा जरूरत नहीं है और आप उसे पूरी तरह से टाल नहीं सकते हैं तो ऐसे समय में एक स्मार्ट शॉपर बने। ओवर स्पेंडिंग पर काबू पाने का सबसे पहला स्टेप है बचत करना। यह कॉन्शियस शॉपिंग से ही संभव हो सकता है। आज के जमाने में ऐसे कई तरीके हैं जिन्हें अपनाकर आप सस्ते में अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीद सकते हैं।
अपने खर्चों पर नजर रखें
खर्चा चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, उसका रिकॉर्ड (Shopping syndrome) जरूर रखें। यह प्रैक्टिस आपके बजट में सहायता करेगी और गैर जरूरी खरीदारी के पॉसिबल एरियाज का पता लगाने में आपकी मदद करेगी। जितना ज्यादा आप अपने खर्च करने के पैटर्न का निरीक्षण करेंगे, तो यह उतना ही आपकी आदत को चेंज करने में आसानी होगी।
क्रेडिट कार्ड पर रखें लिमिट
क्रेडिट कार्ड को स्वाइप करना बहुत आसान काम है, इसलिए यह सुविधा आपकी गैर जरूरी खरीदारी को भी प्रोत्साहित करती है । क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल करने पर एक समस्या यह भी है कि आपके पास जितना ज्यादा पैसा होगा तो आपका खर्च भी ज्यादा ही होगा । यदि आप भी पूरी तरह से क्रेडिट कार्ड पर डिपेंड रहते हैं तो इस पर लिमिट लगाने पर विचार करें । यह आपको अधिक और बेवजह खर्च करने से रोकेगा ।
फिजूल की खरीदारी (Shopping syndrome) करने की इस आदत को तोड़ना कोई इतना कठिन काम नहीं है। आपको ऐसा बिल्कुल महसूस नहीं होगा कि आप किसी प्रकार के आभाव में जीवन जी रहे हैं। वास्तव में इस तरीके से अधिक संतुष्ट महसूस कर सकेंगे कि आप फिजूल की चीजो में अपना पैसा बर्बाद करने से बच गए।
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