आर माधवन ने बिना किसी प्रकार के वर्कआउट के केवल हेल्दी मील्स की मदद से कुछ दिनों में वज़न को आसानी से नियंत्रित किया। एक इंटरव्यूह में माधवन बताते हैं कि वेटलॉस के लिए वो केवल हेल्दी मील्स लेते है और उसके अलावा किसी भी तरह की मेडिकेशन, सर्जरी, रनिंग व व्यायाम की मदद नहीं लेते हैं
रहना है तेरे दिल में फिल्म से लोगों के दिलों में अपने लिए एक खास जगह बनाने वाले आर माधवन अपने लुक्स को लेकर हमेशा सुर्खियों में बने रहते है। मगर पिछले दिनों रॉकेटरी द नंबी इंफेक्ट में कई किलो वज़न गेन करने के बाद अब वेटलॉस कर लोगों को चौंकाने वाले आर माधवन की डाइट से लेकर वर्कआउट प्लान को जानने के लिए लोगों के मन में उत्सुकता बनी हुई है। हाल की में एक इंटरव्यूह में माधवन बताते हैं कि वो केवल हेल्दी मील्स लेते है और उसके अलावा किसी भी तरह की मेडिकेशन, सर्जरी, रनिंग व व्यायाम की मदद नहीं लेते हैं (R Madhavan fitness secrets)।
क्या है आर माधवन की फिटनेस का राज़ (R Madhavan fitness secrets)
एक क्लिप में आर माधवन बताते हैं कि उन्होंने बिना किसी प्रकार के वर्कआउट के केवल हेल्दी मील्स की मदद से कुछ दिनों में वज़न को आसानी से नियंत्रित किया। जून में 55 साल के होने वाले माधवन ने ट्वीट करके सभी को हैरान कर दिया वे बताते हैं कि इंटरिमिटेंट फास्टिंग करने से शरीर को फायदा मिलता है। इसके अलावा खाने के निवाले को 45 से 60 बार चबाकर शरीर को हेल्दी रखा जा सकता है। वे बताते हैं कि खाने को पीकर और पानी को चबाकर लें। इसके अलावा दिन की आखिरी मील 6:45 पर खाएं और वो भी केवल कुक्ड फूड। रात के समय रॉ फूड खाने से बचें।

खाने को पीएं और पानी को चबाकर निगलें (Chew and swallow food and water)
आर माधवन बताते हैं कि वेटलॉस के लिए खाने को पीएं और पानी को चबाकर निगलें। उनके अनुसार सॉलिड फूड को तब तक चबाएं, जब तक वो पानी के समान तरल न हो जाएं। उसी प्रकार पानी पीने से पहले मुंह में रखें और उसे चबाकर अगर निगलें। माइंडफुल इंटिग की ये प्रक्रिया हेल्दी डाइजेशन के लिए आवश्यक है। इससे स्लाइवा में मौजूद एंजाइम पाचनतंत्र को मज़बूती प्रदान करता है। साथ ही शरीर में हाइड्रेशन का लेवल बना रहता है। इससे न केवल पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ता है बल्कि ओवरइटिंग से भी बचा जा सकता है।
इंटरमिटेट फास्टिंग करते हैं फॉलो (Intermittent fasting)
इंटरमिटेंट फासि्टग को फॉलो करने वाले आर माधवन (R Madhavan fitness secrets) दिन के 3 बजे के बाद रॉ फूड खाना बंद कर देते हैं। आयुर्वेद के अनुसार दिनभर में पाचन अग्नि धीरे धीरे मंद होने लगती है, जिससे डाइजेशन स्लो होने लगता है। खासतौर से दोपहर के बाद सैलेड, फ्रूट, स्प्राउट और कच्ची सब्जियों के सेवन से बचना चाहिए। इससे ब्लोटिंग, गैस, पेट दर्द और ऐंठन से बचा जा सकता है। माधवन के अनुसार वे 3 बजे के बाद सिर्फ हल्का और पका हुआ खाना खाते हैं और उनकी लास्ट मील 6: 45 पर समाप्त हो जाती है। इसके अलावा वो खूब पानी पीते हैं।
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जानते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे (Benefits of intermittent fasting)
1. वेटलॉस में मददगार
जर्नल न्यूट्रिएंट्स की रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों ने 12 सप्ताह तक 5:2 इंटरमिटेंट फास्टिंग मैथड को फॉलो किया है, उनके शरीर का औसतन 9 प्रतिशत वजन कम हुआ। इससे कैलोरी काउंट कम होने लगता है और मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ावा मिलता है, जो वजन घटाने में मदद करता है।
2. हृदय स्वास्थ्य का रखे ख्याल
द अमेरिकन जर्नल ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार कि इंटरमिटेंट फास्टिंग फॉलो करने से हाई शुगर, ब्लड प्रेशर, ट्राइग्लिसराइड्स और बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
3. डायबिटीज़ को करे नियंत्रित
वे लोग जो टाइप 2 डायबिटीज़ के बढ़ते स्तर से परेशान हैं, उनके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग बेहद आवश्यक है। इससे इंसुलिन रज़िस्टेंस प्रभावित होती है, जिससे रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद मिलती है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग लोगों के बीच जीवित रहने की दर को बेहतर बनाने और उन्हें डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाने में मदद कर सकता है।

4. कैंसर के जोखिम को करे कम
कैंसर के कारण शरीर में कोशिकाएँ तेज़ी से बढ़ने लगती हैं। ऐसे में इंटरमिटेंट फास्टिंग से इस समस्या को हल किया जा सकता है। यूरोपियन जर्नल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के अनुसार इंटरमिटेंट फासि्ंटंग से कैंसर को रोकने में मदद मिलती है और शरीर पर बढ़ने वाले कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।
5. मेंटल हेल्थ को करे बूस्ट
इंटरमिटेंट फासि्ंटग से ऑक्सीडेटिव तनाव कम होने लगता है, जिससे मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। जर्नल ब्रेन एंड बिहेवियर की रिपोर्ट के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग से नर्व सेल्स की ग्रोथ बढ़ने लगती है, जिससे मेंटल हेल्थ को फायदा मिलता है। इससे शरीर में अल्ज़ाइमर के खतरे से भी बचा जा सकता है।