रोजमर्रा के जीवन में व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्राणायाम का अभ्यास करने से न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को फायदा मिलता है बल्कि इससे इमोशंस को रेगुलेट करने में भी मदद मिलती है।
दिनों दिन बढ़ता स्ट्रेस एंग्ज़ाइटी का कारण बनने लगता है, जिससे याद रखने की क्षमता से लेकर ध्यान केंद्रित करने में समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने के लिए अन्य प्रकार की थेरेपीज़ की जगह कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास बेहद फायदमंद साबित होता है। इससे न केवल मेंटल हेल्थ में सुधार आने लगता है बल्कि सांस संबधी समस्याएं हल हो जाती है। साथ ही व्यक्ति दिनभर एनर्जी से भरपूर रहता है, जिससे व्यवहार में सकारात्मकता बढ़ने लगती है। सबसे पहले जानते हैं कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama) क्या है और इसे करने के स्टेप्स।
कपालभाति प्राणायाम क्या है (Kapalbhati Pranayama)
योग गुरू आचार्य प्रतिष्ठा बताती हैं कि रोजमर्रा के जीवन में व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके चलते बालों का झड़ना, एक्ने, सफेद बाल, याददाश्त की कमी, आंखों में खुजली और सुनने की क्षमता कम होने लगती है। सभी समस्याओं को दूर करने के लिए कपालभाति प्राणायाम बेहद फायदेमंद साबित होता है। कपाल का अर्थ है स्कल और भाति यानि उसे दमकाने वाली प्रैक्टिस।
प्राणायाम का अभ्यास करने से न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को फायदा मिलता है बल्कि इससे इमोशंस को रेगुलेट करने में भी मदद मिलती है। यूं तो कपालभाति (Kapalbhati Pranayama) की गिनती क्लीजिंग प्रैक्टिस में आती है। मगर इसे प्राणायाम के रूप में करने से शरीर की अधिकतर समस्याओं को हल किया जा सकता है।

कपालभाति प्राणायाम क्यों किया जाता है (Kapalbhati Pranayama)
कपालभाति का नियमित अभ्यास करने से सांस छोड़ने के दौरान शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। इसकी मदद से सांस संबधी समस्याएं हल हो जाती हैं और रेस्पीरेटरी मसल्स को मज़बूती मिलती है। क्रिया के दौरान सांस छोड़ने पर फोकस किया जाता है। योगाचार्य आचार्य प्रतिष्ठा के अनुसार इसका नियमित अभ्यास करने से 80 प्रतिशत डस्ट पार्टिकल्स को सांस के ज़रिए बाहर निकाला जा सकता है।
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कपालभाति प्राणायाम के फायदे (Kapalbhati pranayama benefits)
1. फेफड़ों की क्षमता में लाए सुधार
ब्रीदिंग तकनीक में सक्रिय साँस छोड़ना और निष्क्रिय साँस लेना शामिल होता है। इससे फेफड़ों को शुद्ध हवा ही प्राप्ति होती है और अस्थमा व साइनस की समस्या से राहत मिल जाती है। नियमित रूप से इसका अभ्यास सांस पर नियंत्रण को बनाए रखने में मददगार साबित होता है और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है।

2. याददाश्त बढ़ाता है
शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे तनाव को कम किया जा सकता है और ध्यान क्रंद्रित करने की क्षमता में सुधार आने लगता है। मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है। साथ ही एंडोर्फिन का स्तर बढ़ने से मूड में सुधार आने लगता है। इसके अभ्यास से मस्तिष्क की कोशिकाओं की सक्रियता में सुधार आने लगता है।
3. पाचन संबंधी समस्याओं को करे हल
पेट की मांसपेशियों को संकुचित करके किए जाने वाले इस प्राणायाम से पाचन संबंधी समस्याओं को हल किया जा सकता है। कपालभाति का अभ्यास करने से गैस, सीने में जलन और कब्ज से राहत मिलती है। शरीर की क्षमा के मुताबिक रोज़ाना इसका अभ्यास करना शरीर को फायदा पहुंचाता है।

4. पेट पर जमा चर्बी को करे कम
रोज़ाना कपालभाति करने से पेट की मांसपेशियों की मज़बूती बढ़ने लगती है, जिससे पेट पर जमा फैट्स को बर्न किया जा सकता है। शरीर में बढ़ने वाली कैलोरीज़ को कम करने के लिए इसका रोज़ाना अभ्यास करें। तेज़ी से सांस छोड़ने की प्रक्रिया से पेट के आसपास एकत्रित फैट्स से राहत मिल जाती है।
कपालभाति प्राणायाम करने का तरीका (Kapalbhati pranayama steps)
- इसे करने के लिए पद्मासन या अर्ध पद्मासन मुद्रा में बैठें। दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में ले आएं और घुटनों पर टिका लें।
- हथेलियों को आसमान की ओर खुला रखें। अब आंखों को बंद कर लें और कमर को एकदम सीधा करके बैठने का प्रयास करें।
- अब धीमी गति से इसकी शुरूआत करें। करने से पहले पेट को अंदर की ओर खींचें। इसके लिए गहरी सांस लें और फिर सांस को तेज़ी से छोड़ें।
- धीरे धीरे सांस छोड़ने की क्रिया को करने से थकान से राहत मिलती है और कमर में होने वाले दर्द से बचा जा सकता है।
- कपाल, पेट और नाक पर प्रेशर को महसूस किया जा सकता है। 25 बार श्वास को छोड़ें और फिर 10 राउंड तक इसे करें।
- उसके बाद शरीर को ढ़ीला छोड़ दें और ओवरऑल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए नियमित रूप से इसका अभ्यास करें।

इन चीजों से बचना चाहिए (Tips to keep in mind while doing kapalbhati pranayama)
इस प्राणायाम की शुरूआत धीरे से करें। इससे थकान का अनुभव नहीं होता है। सीमित समय के लिए इसे करने से कमर में बड़ने वाली ऐंठन से भी बचा जा सकता है। इसके अलावा 25 बार केवल 10 सेट्स में इसका अभ्यास करने से शरीर को फायदा मिलता है। दरअसल, अति प्राणायाम सांस लेने में तकलीफ और बॉडी पेन का कारण साबित होता है। वे लोग जो बिगनर है, उन्हें किसी के मार्गदर्शन में इसकी श्ुरूआत करनी चाहिए। इससे स्वास्थ्य संतुलित रहता है।