खर्राटे की शिकायत मिलने पर व्यक्ति इसे रोकने के लिए विकल्प खोजने लगता है। ऐसे में योगासनों का अभ्यास समस्या को हल करने में मददगार साबित होता है। इन योगासनों की मदद से करें खर्राटों की समस्या दूर।
अक्सर कुछ लोग गहरी नींद सोने के बाद देर तक खर्राटे लेते हैं। ऐसे में खर्राटों की आवाज़ के कारण अन्य व्यक्ति पूरी रात करवटें बदलता रहता हैं। दरअसल, ये ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति आत्मनियंत्रण नहीं रख पाता है। खर्राटे की शिकायत मिलने पर व्यक्ति इसे रोकने के लिए विकल्प खोजने लगता है। ऐसे में योगासनों का अभ्यास समस्या को हल करने में मददगार साबित होता है। जानते हैं किन योगासनों की मदद से खर्राटे लेने की समस्या होगी हल (Yoga for snoring)।
किस तरह से बढ़ती है खर्राटों की समस्या (How does the problem of snoring increase)
स्लीप फाउनडेशन की रिसर्च के अनुसार नासॉफ़रीनक्स में एयरफ्लो ब्लॉक होने से खर्राटे की समस्या का सामना करना पड़़ता है। नींद के दौरान गले के पीछे की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं। ऐसे में सांस लेते समयए हवा संकीर्ण जगह से अधिक तेज़ी से गुज़रती है, जिससे आस.पास के टिशूज़ वाइब्रेट करते हैं और खर्राटे का सामना करना पड़ता है। वायुमार्ग जितना लिमिटेड होगा टिशूज उतना ही अधिक वाइब्रेट करेंगे और खर्राटे उतने ही तेज़ होंगे।

क्यों बढ़ने लगती है खर्राटे की समस्या (Why does the problem of snoring increase)
आमातैर पर खर्राटे तनाव, सर्कुलेटरी प्रॉबलम्स, मोटापे और साइनस व नाक की समस्याओं के कारण बढ़ने लगते हैं। आनुवंशिकी भी एक भूमिका निभा सकती है। स्मोकिंग, अल्कोहल, अनहेल्दी मील्स, कुछ दवाएँ और एलर्जी, जीभ या टॉन्सिल में सूजन और बढ़ती उम्र भी इस समस्या में योगदान दे सकती है।
खर्राटे दूर करने के लिए योगासन (Yoga for snoring)
1. सिंहगर्जनासन (Lion roaring pose)
इस योगासन का अभ्यास करने से रेस्पिरेटरी फंक्शनिंग में मदद मिलती है। इससे तनाव को दूर करके शरीर में रक्त के संचार को बेहतर बनाया जा सकता है। इस योगासन के दौरान मुंह को खोलकर शेर के समान गर्जने का अभ्यास किया जाता है।
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जानें सिंहगर्जनासन करने की विधि
- सबसे पहले मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। उसके बाद दोनों बाजूओं को सीधा करके हथेलियों को जमीन से लगाकर रखें।
- अब चेहरे को शेर की तरह आगे की ओर झुकाकर रखें। अपने मुंह को खोल लें और फिर अपनी जीभ बाहर निकालें।
- मुंह को खोलकर शेर की तरह दहाड़ने का प्रयास करें। इससे स्वर की स्पष्टता बढ़ने लगती है।
- नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ने लगती है। इस दौरान सांस पर नियंत्रण रखें।

2. भुजंगासन (Cobra pose)
इसे चेस्ट ओपनर योगासन कहा जाता है। इससे फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। साथ ही ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ने लगता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से शरीर को फायदा मिलता है और मसल्स मज़बूत होती हैं।
जानें भुजंगासन को करने की विधि
- इस योगासन को करने के लिए पेट के बल मैट पर लेट जाएं। उसके बाद दोनों बाजूओं को सामने की ओर रखें।
- अब शरीर के उपरी हिस्से को उपर की ओर उठाएं और दोनों हथेलियों को जमीन पर टिकाएं। अब गहरी सांस लें।
- आंखों को बंद कर लें और 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहें। धीरे धीरे सांस छोड़े और सिर नीचे की ओर लेकर आएं।
3. धनुरासन (Bow pose)
सांस संबधी समस्याओं को हल करने के लिए धनुरासन का अभ्यास फायदेमंद साबित होता है। इससे घुटनों और टांगों के मसल्स की मज़बूती बढ़ने लगती है। साथ ही शरीर में रक्त का प्रवाह उचित बना रहता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास शरीर को फायदा पहुंचाता है।
जानें धनुरासन को करने की विधि
- इसे करने के लिए पेटके बल मैट पर लेट जाएं। उसके बाद दोनों बाजूओं को पीछे की ओर लेकर जाएं और सीधा रखें।
- अब दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ लें। इसके बाद दोनों हाथों से पैरों के टखनों कर पकड़कर रखें। गहरी सांस लें।
- अपर बॉडी को उपर की ओर उठाएं और शरीर को पीछे की ओर खीचें। इस दौरान धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें।
- इससे पीठ पर जमा फैट्स को भी बर्न किया जा सकता है।

4. वज्रासन (Thunderbolt pose)
शरीर में लचीलेपन को बढ़ाने के लिए इस योगासन का अभ्यास फायेदमंद साबित हेता है। इसके अलावा सांस को नियंत्रित करके खर्राटे की समस्या भी हल होने लगती है। इससे टांगों के मसल्स की भी मज़बूती बढ़ने लगती है।
जानें वज्रासन करने की विधि
- इस योगासन को करने के लिए घुटनों के बल मैट पर बैठ जाएं और हिप्स को पंजों के उपर रखें।
- अब दोनों बाजूओं को सामने की ओर लेकर आएं और हथेलियों को घुटनों पर टिका लें। इस दौरान गहरी सांस लें।
- आंखों को बंद कर लें और पीठ कर एकदम सीधा करें। अब सांस को छोड़ें। शरीर की क्षमता के अनुसार इस मुद्रा का अभ्यास करें।