आयुर्वेद मानता है कि पेट ही पूरे स्वास्थ्य का आधार है। अगर आपका पेट ठीक है तो मन-मस्तिष्क, बाल-त्वचा सब अच्छे रहेंगे। पर अगर आपको नींद, उदासी, थकान, गैस, डकार, हेयर फॉल आदि का सामना करना पड़ रहा है तो आपको है अपनी गट हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत।
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर पेट से जुड़ी छोटी-छोटी दिक्कतों को लोग नजरअंदाज कर देते हैं। सुबह उठते ही जीभ पर सफेदी होना, बार-बार गैस बनना, थकान रहना या कभी बहुत भूख लगना और कभी बिल्कुल न लगना, खराब पाचन तंत्र के संकेत हैं। अर्थात आपकी आंत ठीक से काम नहीं कर रही हैं। जबकि आंत स्वास्थ्य अर्थात पाचन तंत्र आपके शरीर का केंद्र है। अगर आंत ही ठीक से काम नहीं करेंगी, तो आपको और कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ये सब संकेत हैं कि पाचन तंत्र यानी आंत ठीक से काम नहीं कर रही। इसे कैसे ठीक किया जाए, एक आयुर्वेद विशेषज्ञ से जानते हैं इन सभी समस्याओं का अलग-अलग समाधान (Ayurvedic remedies for gut health)।
महर्षि आयुर्वेद अस्पताल, शालीमार बाग में एमडी आयुर्वेद, डॉ. कल्पना सेहरा कहती हैं, “आंत ही आपकी सेहत का आधार हैं। अगर आपकी आंत ठीक से काम नहीं कर रही हैं, तो न आपको सही पोषण मिलेगा और न ही पाचक रस बनेगा। आयुर्वेद में, आंत (gut) को केवल पाचन का नहीं बल्कि शरीर की संपूर्ण सेहत का मूल स्रोत माना गया है। अगर आंत स्वस्थ नहीं है, तो न केवल शरीर, बल्कि मन और भावनाओं पर भी असर होता है।
क्या है गट हेल्थ और पाचन तंत्र का संबंध (Ayurvedic remedies for gut health)
डॉ. कल्पना सेहरा कहती हैं, “आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की सेहत का आधार है — “अग्नि”, यानी पाचन अग्नि। अग्नि मजबूत होगी, तो भोजन ठीक से पचेगा, पोषण सही से मिलेगा और शरीर में ओज (immunity) विकसित होगा। लेकिन जब अग्नि कमजोर हो जाती है, तो आम (toxins) बनने लगते हैं — जो धीरे-धीरे शरीर में रोगों का कारण बनते हैं।”
10 संकेत जो बताते हैं कि आंत को मदद चाहिए (Ayurvedic remedies for gut health)
1. जीभ पर सफेद परत जमना
यह साफ संकेत है कि शरीर में अम्ल जमा हो रहा है — यानी अग्नि कमजोर है और पाचन अपूर्ण है।
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उपाय: जीभ की सफाई के लिए तांबे का स्क्रैपर इस्तेमाल करें और दिन की शुरुआत हल्के गर्म पानी से करें।

2. खाना खाने के बाद सुस्ती या पेट फूलना:
यह दर्शाता है कि पाचन धीमा हो गया है। वात व पित्त का असंतुलन इसमें अहम भूमिका निभाता है।
उपाय: भोजन हल्का रखें, शाम को भारी भोजन न करें, और खाना खाने के तुरंत बाद न लेटें।
3. अनियमित भूख लगना:
यह अग्नि के असंतुलन का संकेत है – जिसे आयुर्वेद विषम अग्नि कहता है।
उपाय: समय पर खाना खाएं, अन्न का दोबारा पाचन होने से पहले न खाएं।
4. पेट से बार-बार आवाज़ें आना, गैस या डकारें
वात दोष के बढ़ने से ऐसा होता है। यह मानसिक तनाव या अनियमित भोजन से भी हो सकता है।
उपाय: अदरक, अजवाइन और गर्म पानी का सेवन करें।
5. कब्ज या चिपचिपा मल आना:
यह दर्शाता है कि अग्नि मंद है और आंतें विषाक्त हो चुकी हैं।
उपाय: त्रिफला रात्रि में लें, और दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं।
6. अच्छी नींद के बावजूद थकावट:
यह बताता है कि पोषक तत्व आंत से अवशोषित नहीं हो रहे हैं, जिससे शरीर को ऊर्जा नहीं मिल रही।
उपाय: च्यवनप्राश या अश्वगंधा का प्रयोग करें और प्राणायाम को दिनचर्या में शामिल करें।

7. मूड स्विंग्स या चिड़चिड़ापन:
आंत और मस्तिष्क का गहरा संबंध होता है। जब पाचन गड़बड़ होता है, तो मानसिक स्थिरता भी प्रभावित होती है।
उपाय: सत्त्विक आहार लें और सुबह-शाम 10 मिनट ध्यान करें।
8. मीठा, तीखा या नमकीन खाने की लालसा:
यह शरीर में पोषण की कमी या त्रिदोष असंतुलन का संकेत हो सकता है।
उपाय: संतुलित आहार लें जिसमें सभी छह रस (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) हों।
9. मुंहासे, स्किन एलर्जी या शरीर से दुर्गंध:
यह दर्शाता है कि रक्त दोष और पाचन दोष है।
उपाय: नीम, मंजीष्ठा और हल्दी का सेवन करें।
10. बार-बार बीमार पड़ना:
इम्युनिटी का सीधा संबंध पाचन (Ayurvedic remedies for gut health) से है। कमजोर अग्नि से शरीर रोगों के प्रति असहाय हो जाता है।
उपाय: इम्युनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय, तुलसी, और आंवला का प्रयोग करें।
गट हेल्थ सुधारने के लिए आयुर्वेदिक सुझाव (Ayurvedic remedies for gut health)
1. सही दिनचर्या (Daily Routine) का पालन करें:
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठें, नियमित व्यायाम करें, और तय समय पर भोजन करें।

2. ऋतुचर्या (Seasonal Adjustments):
हर मौसम के अनुसार भोजन और जीवनशैली में बदलाव करें। गर्मियों में ठंडी तासीर वाला भोजन, सर्दियों में पाचनशक्ति अनुसार पौष्टिक आहार।
3. अग्नि दीपक उपचार:
पाचन अग्नि को मजबूत करने (Ayurvedic remedies for gut health) के लिए भोजन से पहले अदरक-नमक लेना, भोजन के बाद सौंफ-जीरा का सेवन करना लाभकारी होता है।
4. डिटॉक्स करें:
पंचकर्म या घरेलू उपाय जैसे त्रिफला, नीम और गर्म पानी से शरीर को समय-समय पर शुद्ध करें।
अंत में एक ज़रूरी बात:
शरीर बहुत समझदार है — वह लगातार इशारे देता रहता है। अगर हम समय रहते उन इशारों को समझ लें और अपनी दिनचर्या, खानपान और सोच में संतुलन लाएं, तो न केवल पाचन बल्कि संपूर्ण जीवन ऊर्जा से भरपूर हो सकता है।
तो अगली बार जब आपकी जीभ सफेद हो, पेट भारी लगे या मूड गड़बड़ हो — डॉक्टर के पास जाने से पहले अपने भोजन, समय और सोच पर एक नजर ज़रूर डालिए।
याद रखिए – स्वस्थ आंत, संतुलित अग्नि और शुद्ध शरीर ही सच्चे स्वास्थ्य का आधार हैं।
खुश पेट, खुश दिमाग, खुश ज़िंदगी!
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