मेनोपॉज के बाद महिलाएं बाद कार्डियोवैस्कुलर रोग यानि सीवीडी का शिकार बन रही हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं में हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ रहा हैं। अधिकतर महिलाएं ये जानना चाहती हैं कि मेनोपॉज और हृदय रोग में क्या संबध है।
तनाव, अनियमित जीवनशैली और अनहेल्दी खानपान शरीर में ह्दय रोगों के खतरे का कारण साबित होते है। आधुनिकता के इस दौर में कम उम्र के लोगों को भी इस समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। खासतौर से महिलाएं मासिक धर्म चक्र के बंद होने के बाद कार्डियोवैस्कुलर रोग यानि सीवीडी का शिकार बन रही हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं में हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ रहा हैं। मगर अधिकतर लोगों के मन में यही सवाल उठता है कि हृदय रोग मेनोपॉज के बाद कैसे ट्रिगर हो सकते है। पहले जानते हैं मेनोपॉज और कार्डियोवैस्कुलर रोग (Menopause and heart health ) के बीच में कनेक्शन और फिर उससे राहत पाने के उपाय भी।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार वे महिलाएं, जो अधिक उम्र में मेनोपॉज से होकर गुज़रती हैं, उनमें हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। पिट्सबर्ग युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार महिलाएं रजोनिवृत्ति से गुज़रती हैं इसलिए उन्हें बहुत सारे बदलावों का अनुभव होता है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर गौरव मिनोचा बताते हैं कि मेनोपॉज के दौरान उनके शरीर में एस्ट्रोजन का प्रोड्क्शन कम हो जाता हैं, जिससे पेट पर अधिक चर्बी जमा हो जाती हैं। इस समस्या को मेटाबोलिक सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। ऐसा तब होता है जब किसी व्यक्ति में निम्न में से कम से कम तीन लक्षण होते हैं पेट का मोटापा बढ़ना, उच्च ट्राइग्लिसराइड्स, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर और हाई ब्लड शुगर या हाई ब्लडप्रेशर (Menopause and heart health )।

मेनोपॉज और कार्डियोवैस्कुलर रोग के बीच क्या है कनेक्शन (Menopause and heart health)
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिर्पोर्ट के अनुसार 9.374 महिलाओं पर हुए रिसर्च में प्री मेनोपॉज़ का शिकार महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज़ और हृदय रोग यानि सीवीडी का जोखिम देखने को मिला। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन महिलाओं को समय से पहले रजोनिवृत्ति यानि 45 वर्ष की आयु से पहले पीरियड्स बंद हो गए। उनमें हृदय रोग का जोखिम अधिक था और टाइप 2 मधुमेह का भी खतरा बढ़ गया था।
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कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, एथेरोस्क्लेरोसिस और हृदय विफलता के लिए रजोनिवृत्ति से पहले की महिलाओं में जोखिम रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं की तुलना में 1.09 से 1.1 गुना अधिक था। ये जोखिम उन लोगों में और भी अधिक थे, जिन्हें समय से पहले रजोनिवृत्ति का अनुभव हुआ और उन्हें पहले से टाइप 2 डायबिटीज़ था।
रजोनिवृत्ति से पहले के वर्षों में एस्ट्रोजन कार्डियोप्रोटेक्टिव हो सकता है या हृदय की रक्षा करने वाले प्रभाव डाल सकता है। पेरिमेनोपॉज वह समय होता है जब अंडाशय कम एस्ट्रोजन का उत्पादन करना शुरू कर देते हैं। एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट के कारण हृदय की गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं और वो अधिक संवेदनशील हो जाता है।
चित्र- अडोबी स्टॉक
इन टिप्स की मदद से मेनोपॉज के बाद हृदय रोगों से बचा जा सकता है (Tips to deal with heart disease after menopause)
1. नियमित व्यायाम
नियमित शारीरिक गतिविधि को रूटीन में शामिल करना ज़रूरी है। व्यायाम स्वस्थ वज़न बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही हृदय और रक्त वाहिकाओं को मज़बूत बनाता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। हर हफ़्ते कम से कम 150 मिनट लो इंटेसिटी एरोबिक वर्कआउट करने का लक्ष्य रखने से शरीर को फायदा मिलता है।
2. वेट मैनेजमेंट
अपने वज़न को नियंत्रित बनाए रखें। रजोनिवृत्ति के बाद वज़न बढ़ना आम बात है, लेकिन स्वस्थ वज़न बनाए रखने से हृदय रोग का जोखिम काफ़ी हद तक कम हो सकता है। संतुलित आहार और व्यायाम वज़न प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3. स्वस्थ आहार लें
अपनी मील में फलों, सब्ज़ियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों को शामिल करें। इससे हृदय स्वस्थ बना रहता है। आहार में सेचुरेटिड और ट्रांस फैट्स को सीमित मात्रा में शामिल करें। इसके अलावा सोडियम और शुगर की मात्रा को सीमित करें। मछली, नट्स और जैतून के तेल जैसे हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करने वाले खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें।
4. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें
रोज़ाना ब्लड प्रेशर को चेक करते रहें। इसे 140/90 से नीचे रखना हृदय स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। अगर आपका रक्तचाप बढ़ा हुआ हैए तो जीवनशैली में बदलाव या डॉक्टर की सलाह से उपचार ज़रूरी है। इससे हृदय स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने में मदद मिलती है।
5. ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकें
स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने के लिए रक्त शर्करा की जाँच करें। फास्टिंग ब्लड शुगर का स्तर 100 से कम होना चाहिए और खाना खाने के बाद स्तर 140 से कम होना चाहिए। इससे शुगर स्पाइक के जोखिम से बचा जा सकता है।
6. तनाव से दूर रहें
ध्यान, गहरी साँस लेने के व्यायाम या योग जैसी तनाव घटाने वाली तकनीकों का अभ्यास नियमित रूप से करें। तनाव प्रबंधन आपके हृदय स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
7. शराब का सेवन सीमित करें
अत्यधिक शराब का सेवन उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का कारण साबित होता है। इससे हृदय समेत किडनी और लिवर से जुड़ी समस्याओं का भी खतरा बढ़ जाता है।