आपने अब तक सोशल मीडिया के ढेरों नुकसान सुने होंगे। स्क्रीन टाइम से आँखों की परेशानी या फिर मेंटल हेल्थ से जुड़ी दिक्कत। लेकिन क्या आपको पता है कि सोशल मीडिया हमारी खाने की आदतों (social media eating disorder) पर भी असर डाल रहा है।
आज के पचास साल पहले अगर कोई किसी से पूछता कि क्या इस दुनिया में ऐसी भी कोई चीज बनेगी जिससे अमेरिका में बैठे लोग भी तस्वीरों के साथ भारत के लोगों को बता सकेंगे कि वो क्या कर रहे हैं, तो क्या इसका जवाब हाँ होता? शायद नहीं। पर ये मुमकिन हुआ, उसकी वजह से जिसे हम सोशल मीडिया कहते हैं। आपने अब तक सोशल मीडिया के ढेरों नुकसान सुने होंगे। स्क्रीन टाइम से आँखों की परेशानी या फिर मेंटल हेल्थ से जुड़ी दिक्कत। लेकिन क्या आपको पता है कि सोशल मीडिया (social media eating disorder) हमारी खाने की आदतों पर भी असर डाल रहा है? रिपोर्ट्स कहती है कि खाने के डिसऑर्डर्स के कारणों में से एक सोशल मीडिया भी है? कैसे, थोड़ी देर में हम यही समझने वाले हैं।
सोशल मीडिया और हमारे खाने की आदत का कनेक्शन (social media eating disorder)
सितंबर, 2024 में छपी अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी की स्टडी में पाया गया है कि हर अतिरिक्त घंटे की स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया यूज़ से इटिंग डिसॉर्डर्स के लक्षण दिखने की संभावना बढ़ जाती है। इसी तरह जर्नल ऑफ इटिंग डिसॉर्डर्स के बैनर तले 2021 में हुए एक और रिसर्च के मुताबिक अगर आप हर दिन सोशल मीडिया पर एक घंटा और ज्यादा बिताते हैं तो अगले साल बिंज ईटिंग डिसऑर्डर होने का रिस्क 62% बढ़ जाता है।

इसका कारण कई सारे फैक्टर्स हैं, जैसे कि एक-दूसरे से तुलना करना, ऐसे शरीर के आदर्शों को देखना जो हासिल करना बहुत मुश्किल हैं, और अचानक से होने वाली इम्पल्सिव बीहेवियर।
एरिन बाइरीली जो एक लाइसेंस्ड प्रोफेशनल काउंसलर हैं और ईटिंग डिसऑर्डर (social media eating disorder) ट्रीटमेंट सेंटर “रेनफ्रू सेंटर” से जुड़ी हैं, CNN के लिए एक आर्टिकल में कहती हैं कि सोशल मीडिया की एक बड़ी खासियत ये है कि यह तुरंत और ज्यादा एक्सेस देता है और वो भी अलग-अलग आईडियाज को। यह दोनों अच्छा और बुरा भी हो सकता है।
खतरनाक बन सकती है ये आदत
इसमें कोई शक नहीं कि सोशल मीडिया (social media eating disorder) आपको कम्युनिटी जॉइन करने का मौका देता है लेकिन इनमें कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जिनकी फूड और बॉडी इमेज के बारे में थॉट सही नहीं होते। ऐसे लोग खतरनाक आदतें शेयर कर सकते हैं जो आपके दिमाग में ये सोच डाल सकती हैं कि यह सब नॉर्मल है।इसके अलावा, सोशल मीडिया (social media eating disorder) पर अक्सर ऐसी इमेजेज़ देखी जाती हैं जो या तो एडिटेड होती हैं या फिर खास तरीके से पोज़ दी जाती हैं। ये सभी ऐसी बॉडी इमेज को बढ़ावा देती हैं जो सच में हेल्दी नहीं होतीं और यही चीज़ें आप में मानसिक दबाव बना सकती हैं।
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खासकर बच्चे या किशोर जिनपर अभी ही दुनिया खुली होती है और उनपर अच्छा दिखने का अतिरिक्त दबाव होता है।इतना ही नहीं, कई इन्फ्लूएंसर्स ऐसे प्रोडक्ट्स को प्रमोट करते हैं, जो वजन कम करने के लिए होते हैं। और इन प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग देख कर लोगों को लगता है कि यही सही तरीका है जबकि ये कई बार हेल्दी नहीं होते।
और क्या हैं नुकसान (social media eating disorder)
1. फास्ट फूड और जंक फूड
सोशल मीडिया (social media eating disorder) पर जब हम फास्ट फूड और जंक फूड की तस्वीरें या वीडियो देखते हैं तो हमारा मन भी इन्हें खाने का करता है। इंस्टाग्राम पर किसी के पिज़्ज़ा या बर्गर का वीडियो देखकर हम भी बिना कई बार बिना सोचे-समझे उसी वक्त ऑर्डर कर लेते हैं। ये सारी चीज़ें हमारी सेहत के लिए तो कम से कम अच्छी (social media eating disorder) नहीं होतीं। इसका नुकसान हमें तुरंत तो नहीं दिखता लेकिन जब लंबे समय के लिए देखें तो ये मोटापा, डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों का कारण बनती जाती हैं।
2. स्मार्ट और फिट दिखने का दबाव
हम अक्सर सोशल मीडिया (social media eating disorder) पर फिटनेस इंफ्लूएंसर, फूड ब्लॉगर्स, और यूट्यूबर्स को अपनी परफेक्ट बॉडी और हेल्दी डाइट दिखाते हुए देखते हैं। इनकी तस्वीरें देखकर हमें लगता है कि हमें भी वैसे ही दिखने के लिए वैसी डाइट और आदतें अपनानी चाहिए और हम दूसरों से बेहतर दिखने के चक्कर में बिना किसी प्रोफेशनल सलाह के अपनी डाइट को कड़ा कर देते हैं, जैसे बहुत कम खाना खा लेना या फिर ऐसी डाइट (social media eating disorder) फॉलो करने लगते हैं जो जो हेल्दी नही है। यह भी हमारी सेहत को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाता है।
3. फूड रिव्यू और ऐड्स (social media eating disorder)
जहां लोग होंगे वहाँ मार्केट होगा। जहां मार्केट होगा वहाँ विज्ञापन भी होंगे। दिन पुराने हुए जब विज्ञापन केवल टीवी या अखबारों का हिस्सा थे। अब जब करोड़ों लोग सोशल मीडिया पर हैं तो विज्ञापन भी ऑफकोर्स वहीं होंगे। खाने की दुनिया के भी विज्ञापन ऐसे ही हैं सोशल मीडिया पर।

फूड (social media eating disorder) रिव्यू या ऐड्स में जब हम किसी नई रेसिपी या खाने के आइटम के बारे में देखते हैं तो हमारा मन भी उसे ट्राई करने का करता है। लेकिन कई बार ये फूड रिव्यूज़ और विज्ञापन खाने को ज्यादा अच्छा और आकर्षक बना कर दिखाते हैं। फूड ब्लॉगर अपने कंटेंट को शानदार बनाने के लिए ज्यादा शुगर, ऑयल और जो भी अनहेल्दी चीजें उनके खाने को सुंदर बनाए, उसे डालने से परहेज नहीं करते। हम या हमारे बच्चे कई बार इसके झांसे में आ सकते हैं और फिर इसका असर हमारे हेल्थ पर दिखता है।
4. नए फूड ट्रेंड्स और डाइट्स का दबाव (social media eating disorder)
इन दिनों नए-नए फूड ट्रेंड्स और डाइट चैलेंज आते रहते हैं। सोशल मीडिया इसका सबसे बड़ा मंच है। जैसे कि ‘केटो डाइट’, ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’, ‘वीगन डाइट’ और ‘माइक्रोवेज़ रेसिपी’। इन ट्रेंड्स को देखकर कुछ लोग बिना सोचे-समझे और बिना एक्सपर्ट की सलाह के इन्हें अपनाने लगते हैं। कई बार ये डाइट्स (social media eating disorder) शरीर के लिए ठीक नहीं होतीं।

अब जैसे केटो डाइट में कार्ब्स कम कर दिए जाते हैं जो कुछ लोगों के लिए नुकसानदायक (social media eating disorder) हो सकता है। लेकिन इन्फ़लुएंस की जद में आ कर वो ऐसा ट्राई करते हैं और फिर उनका हेल्थ कॉम्परोमाइज होता है।
कैसे पाएं सोशल मीडिया से मिलने वाले फूड डिसऑर्डर पर काबू (How to control social media food disorder)
1. सोशल मीडिया से ब्रेक
अगर आपको लगता है कि आप ज्यादा समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं तो एक ब्रेक लेना जरूरी है। आप एक टाइमर सेट कर सकते हैं या फिर खुद को याद दिला सकते हैं कि स्क्रीन के अलावा और भी एक्टिविटीज़ हैं जो आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
2. तुलना करके फैसले मत लीजिए
दूसरों को देखकर अपनी ज़िंदगी या बॉडी के बारे में सोचने की बजाय खुद से प्यार करना सीखिए। ये ठीक बात है कि फिट या हेल्दी रहना जरूरी है लेकिन दूसरों को देखकर नहीं। आपको हमेशा याद रखना है कि सोशल मीडिया (social media eating disorder) पर जो दिखाया जाता है वो हमेशा सच नहीं होता।
3. चुनें, किसे करना है फॉलो
सोशल मीडिया पर अपने फीड को ऐसे कंटेंट से भरें जो आपके लिए सही हो। हेल्दी रेसिपीज़, फिटनेस टिप्स, और पॉजिटिव कंटेन्ट वाले अकाउंट्स फॉलो करें। इससे आप एक बेहतर लाइफस्टाइल की ओर बढ़ेंगे।
4. स्क्रीन टाइम नहीं व्यायाम चुनिए
जब आप सोशल मीडिया (social media eating disorder) से दूरी बनाते हैं तो खुद को आउटडोर एक्टिविटीज़ में लगाएं। चाहे वो वॉक हो, एक्सरसाइज, या फिर कोई स्पोर्ट्स खेलें। ये सब न सिर्फ फिजिकल हेल्थ के लिए बल्कि आपकी मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
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