त्वचा पर बढ़ता पॉल्यूटेंटस का प्रभाव स्किन टैक्सचर को प्रभावित करता है। इससे स्किन रूखी, बेजान और अनईवन दिखने लगती है। ऐसे में कोलेजन बूस्टिंग पदार्थ स्किन को ग्लोई और स्मूद बनाने में मदद करते है। साथ ही खानपान में भी सुधार लाने की आवश्यकता होती है।
ग्लोइंग और स्मूद स्किन को बनाए रखने के लिए अक्सर कई तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। मगर फिर भी उम्र के साथ त्वचा पर मुंहासों के निशान, ओपन पोर्स और खुरदरापन बढ़ने लगता है। इसके चलते उम्र के साथ स्किन के टैक्सचर में कई तरह के बदलाव आने लगते है। ऐसे में त्वचा की बनावट को उचित बनाए रखने के लिए त्वचा को यूवी रेज़ के प्रभाव से बचाकर स्किन को हाइड्रेट रखना आवश्यक है। इसके लिए कुछ आसान उपायों की मदद ली जा सकती है। जानते हैं स्किन के टैक्सचर (skin texture) में सुधार लाने की कुछ आसान टिप्स।
स्किन का टैक्सचर कैसे प्रभावित होता है (How skin texture is affected)
इस बारे में स्किन एक्सपर्ट मंजू रावत बताती हैं कि त्वचा की टोन से लेकर उसकी बनावट में आने वाले बदलाव के चलते असमान एपिडर्मल सतह को टेक्सचर्ड स्किन कहा जाता है। इससे त्वचा का खुरदुरापन, लार्ज पोर्स, महीन रेखाएं और मुंहासों के निशान नज़र आने लगते हैं।। इससे एपिडर्मिस की इलरस्टीसिटी में कई तरह के बदलाव नज़र आने लगते हैं। इससे चेहरे के अलावा गर्दन, पैर, हाथ और पीठ सहित अपने शरीर पर कहीं भी टैक्सचर्ड स्किन को देखा जा सकता है।
त्वचा पर बढ़ता पॉल्यूटेंटस का प्रभाव त्वचा का टैक्सचर प्रभावित करता है। इससे स्किन रूखी, बेजान और अनईवन दिखने लगती है। ऐसे में कोलेजन बूस्टिंग पदार्थ स्किन को ग्लोई और स्मूद बनाने में मदद करते है। साथ ही खानपान में भी सुधार लाने की आवश्यकता होती है।

स्किन टैक्सचर को सुधारने के लिए लें इन टिप्स की मदद
1. एक्सफोलिएशन है ज़रूरी
नियमित रूप से स्किन क्लीजिंग न होने के चलते एपिडर्मिस में डेड स्किन सेल्स की समस्या बढ़ने लगती है। दससे त्वचा डार्क, रूखी और बेजान लगने लगती है। ऐसे में अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड और बीटा हाइड्रॉक्सी एसिड में मौजूद एक्सफोलिएंटिंग गुण स्किन सेल्स की रिपेयर करने और उनकी मात्रा को बढ़ाने में मदद करते है। इससे ऑयली स्किन और एक्ने की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।
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2. स्किन को रखे हाइड्रेट
त्वचा का रूखापन स्किन के ग्लो और लचीलेपन को कम करने लगता है, जिसका प्रभाव त्वचा के टैक्सचर पर भी देखने को मिलती है। ऐसे में त्वचा की बनावट को बेहतर बनाने के लिए स्किन का हाइड्रेट होना आवश्यक है। त्वचा पर हाइलूरोनिक एसिड या ग्लिसरीन का इस्तेमाल स्किन की नमी को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा में नमी लॉक हो जाती है।
3. यूवी रेज़ का प्रभाव होगा कम
धूप के संपर्क में रहने से डर्मिस में कोलेजन और इलास्टिन कमज़ोर होने लगते हैं, जिससे त्वचा का खुरदरापन, झुर्रियाँ और पिगमेंटेशन बढ़ जाती हैं। ऐसे में टैक्सचर में सुधार लाकर एजिंग को रोकने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल डर्मेटोलॉजी के रिसर्च के अनुसार जिन प्रतिभागियों ने 52 हफ़्तों तक ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन एसपीएफ 30 को इस्तेमाल किया उनकी त्वचा की बनावट में काफ़ी सुधार देखने को मिला।

4. मुँहासे और दाग धब्बों का करें इलाज
मुँहासे त्वचा की बनावट को नुकसान पहुंचाती है। ऐसे में स्किन को हेल्दी बनाए रखने के लिए नॉन कॉमेडोजेनिक उत्पादों का उपयोग करें जो स्किन क्लॉग्ड पोर्स की समस्या को हल कर देते हैं। इसके लिए त्वचा पर नियासिनमाइड या बेंज़ॉयल पेरोक्साइड का उपयोग करें।
5. स्किन सेल्स को करें रिपेयर
विटामिन सी की मदद से फाइन लाइंस की समस्या हल करने में मदद मिलती है। साथ ही एंटीऑक्सीडेंट को त्वचा पर अप्लाई करने से फ्री रेडिकल्स का प्रभाव कम होने लगता है। विटामिन सी का इस्तेमाल करने से सन रेज़ के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। इसे चेहरे पर लगाकर सर्कुलर मोशन में मसाज करें। इससे स्किन की स्मूदनेस और ब्राइटनेस बढ़ने लगती है।

6. आहार का संतुलित होना ज़रूरी
जब आपकी त्वचा के स्वास्थ्य की बात आती है तो पोषण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। अपनी त्वचा को चिकना बनाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और हेल्दी फैट्स को आहार में शामिल करें। इसके लिए आहार विटामिन सी रिच फूड्स, मछली और अलसी का सेवन करें। इससे शरीर को विटामिन, मिनरल और ओमेगा 3 फैटी एसिड की प्राप्ति होती है।