देश के कई राज्यों में बदलते मौसम के साथ ही मौसमी बीमारियों का कहर भी शुरू हो चुका है. मौसमी बीमारियों में खासतौर से बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम और निमोनिया के मरीजों की लंबी लाइन अस्पतालों में देखने को मिल रही है. हर सरकारी अस्पताल में हजारों मरीजो की ओपीडी देखने को मिल रही है. अगर आप भी सर्दी-खांसी-बुखार और जुकाम के संक्रमण से संक्रमित हैं तो आपको भी थोड़ा सावधान होने की जरूरत है. जोधपुर स्थित मथुरादास माथुर अस्पताल के डॉक्टर ने इस संबंध में चेतावनी जारी की है. उन्होंने लोगों को अचानक बीमार होने की वजह भी बताई.
मथुरादास माथुर अस्पताल के अधीक्षण विकास पुरोहित ने बताया कि बदलते मौसम में सर्दी-खांसी और जुकाम के साथ बुखार होना आम बात है, लेकिन इस बार काफी लोग मौसमी इंफेक्शन के साथ खतरनाक वायरस की चपेट में भी आ रहे हैं. दरअसल, सर्दी-खांसी और जुकाम के साथ प्राणघातक वायरस ‘गुईलेन-बैरे सिंड्रोम’ (GBS) भी लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. इस वायरस को एक्यूट इन्फ्लेमैटरी डेमीलिंवेटिंग पॉलीरेडिकुलोन्यूरोपैथी (AIDP) भी कहा जाता है. इस वायरस से संक्रमित होने के बाद आपका पूरा शरीर काम करना बंद कर देता है. इस दौरान ऐसा लगता है कि जैसे पूरे शरीर में पैरालिसिस अटैक आ गया है. गौर करने वाली बात यह है कि जोधपुर में गुईलेन-बैरे सिंड्रोम से संक्रमित 6-7 मरीज सामने मिल चुके हैं.
उन्होंने बताया कि मौसम बदलने के साथ मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी-खांसी-जुकाम और निमोनिया के मरीजों की तादाद लगातार अस्पताल में बढ़ रही है. इसके साथ ही गुईलेन-बैरे सिंड्रोम से संक्रमित मरीज भी मिल रहे हैं. यह वायरस सर्दी-खांसी और जुकाम के संक्रमण के दौरान होता है. जब सर्दी-खांसी और जुकाम ठीक हो जाता है तो उसके 15-20 दिन बाद शरीर में कमजोरी आने लगती है. इसमें सबसे पहले पैरों में कमजोरी महसूस होती है और पैर धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं. इसके बाद संक्रमण धीरे-धीरे पैर से होते हुए पेट और गले तक चला जाता है. डॉक्टर के मुताबिक, गुईलेन-बैरे सिंड्रोम से संक्रमित मरीजों को सीधा वेंटिलेटर पर लिया जाता है. अस्पतालों में इन मरीज को सभी दवाएं मुफ्त दी जा रही हैं, क्योंकि इस संक्रमण की दवाइयां काफी महंगी आती हैं.
डॉक्टर के मुताबिक, यह स्पष्ट नहीं है कि कुछ लोगों को गुईलेन-बैरे सिंड्रोम क्यों होता है. फिलहाल यह पता लगा है कि यह सिंड्रोम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर ही हमला करता है. आमतौर पर प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएं केवल बाहरी पदार्थ व हमलावर जीव पर ही हमला करती हैं, लेकिन GBS का वायरस तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं के माइलियन आवरण को नष्ट करने लगता है. वहीं, कभी-कभी अक्षतंतुओं को भी नष्ट कर देता है. ऐसा होने पर तंत्रिका तंत्र कुशलता से संकेत नहीं भेज पाता है. इससे मांसपेशियां मस्तिष्क के आदेशों का जवाब देने की क्षमता खो देती हैं.
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