
लिवर शरीर की गंदगी को बाहर निकालने और चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जिसमें मेलाटोनिन जैसे नींद को प्रभावित करने वाले पदार्थों का प्रसंस्करण शामिल है. जब लिवर क्षतिग्रस्त या बीमार होता है. तो यह इन कामों को करने में लिवर को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है . जिसके कारण शरीर के अंदर गंदगी बनने लगते हैं और रात को ठीक से नींद नहीं आती है.

सिरोसिस: नींद की गड़बड़ी, जिसमें नींद की कमी, दिन में बहुत ज़्यादा नींद आना और नींद-जागने का उलटा होना शामिल है. सिरोसिस वाले व्यक्तियों में आम है. एक ऐसी स्थिति जिसमें लिवर पर निशान होते हैं.

NAFLD (गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग): NAFLD, एक आम लिवर की स्थिति है, जो नींद की बीमारियों से जुड़ी है. जिसमें नींद की अवधि कम होना. नींद आने में देरी और नींद की खराब गुणवत्ता शामिल है.

टॉक्सिन बिल्डअप: जब लिवर खराब होता है, तो धीरे-धीरे ब्लड में गंदगी बढ़ने लगती है और फिर ब्लड सर्कुलेशन में खराबी आने लगती है. और ब्लड में गंदगी जमा होने लगते हैं और मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं. जिससे भ्रम, नींद की गड़बड़ी और बिगड़ा हुआ मानसिक कार्य जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण हो सकते हैं.

सर्कैडियन रिदम डिसऑर्डर: लिवर डिसफंक्शन शरीर के नैचुरल नींद-जागने के चक्र को बाधित कर सकता है. जिससे थकान और बेचैनी हो सकती है.

मेलाटोनिन मेटाबॉलिज्म: लिवर मेलाटोनिन मेटाबॉलिज्म में एक भूमिका निभाता है. जो एक हार्मोन है जो नींद को कंट्रोल करता है. लिवर की बीमारी मेलाटोनिन के लेवल को बाधित कर सकती है. जिससे नींद की समस्या हो सकती है.
Published at : 24 Mar 2025 08:38 PM (IST)