पैरों की सही मूवमेंट के लिए योगाभ्यास फायेदमंद है। इससे हील में दर्द और दबाव कम होने लगता है। दरअसल, एड़ी की हड्डी पर बढ़ने वाला दबाव दर्द का कारण साबित होता है। इसके लिए रूटीन में पैरों पर दबाव बनाने वाले योगासनों का अभ्यास करें।
दिनभर चलने से लेकर वज़न उठाने और सामान की उठा पटक करने समेत दिनचर्या के हर कार्य का प्रभाव हमारे पैरों की मांसपेशियों पर पड़ने लगता है। पैरों पर बढ़ने वाला प्रेशर दर्द की समस्या को बढ़ाता है। ये दबाव गलत जूते पहनने या देर तक हील्स पहनने से भी बढ़ने लगता है, जो दर्द का मुख्य कारण साबित होता है। अक्सर लोग मसाज और स्टीमिंग की मदद से हील पेन को दूर करते हैं। मगर कुछ आसान योगासनों का अभ्यास भी इस समस्या से मुक्ति दिला सकता है। अगर आप भी पैरों के दर्द से परेशान है, तो इन आसान योग मुद्राओं से आपकी ये समस्या हल हो सकती है (yoga poses for heel pain)।
योग एक्सपर्ट भावना जपत्यानी बताती हैं कि पैरों की सही मूवमेंट के लिए योगाभ्यास फायेदमंद साबित होता है। इससे हील में दर्द और दबाव कम होने लगता है। दरअसल, एड़ी की हड्डी पर बढ़ने वाला दबाव दर्द का कारण साबित होता है। पैर के पिछले हिस्से में बढ़ने वाला दर्द चलने फिरने में तकलीफ का कारण बनने लगता है। ऊंची हील के जूते पहनने से बचें और बॉडी मूवमेंट को उचित बनाए रखें। फुट मसल्स की मज़बूती के लिए उन योगासनों का अभ्यास करें, जिससे पैर की मांसपेशियों में बढ़ने वाले तनाव को कम किया जा सके। इसके लिए रूटीन में ट्री पोज और विपरीत करणी समेत पैरों पर दबाव बनाने वाले योगासनों का अभ्यास करें।
एड़ी के दर्द को इन योगासनों से करें दूर
1. मलासन (Garland pose)
इस योगासन को मालासन और गारलैंड पोज़ भी कहा जाता है। घुटनों के बल बैठकर किए जाने वाले इस योगासन में हिप्स को जमीन से लगाने से बचना चाहिए। इससे न केवल एड़ियों के दर्द से राहत मिलती है बल्कि स्टेमिना बूस्ट होता है और डाइजेशन भी बूस्ट होने लगता है।
जानें इसे करने की विधि
- मलासन को करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों टांगों में दूरी बनाकर रखें। अब घुटनों को मोड़ लें।
- घुटनों के बल बैठने का प्रयास करें, मगर हिप्स को जमीन पर लगाने से बचें। चेहरे को सामने की ओर रखें और बाजूओं को आगे रखें।
- अब दोनों बाजूओं को कोहनी से मोड़ते हुए नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं। गर्दन को सामने रखें और गहरी सांस लें।
- 3 से 5 मिनट तक इसी मुद्रा में रहने के बाद खड़े हो जाएं और शरीर को ढ़ीला छोड़ दें।
2. ताड़ासन (Mountain pose)
नियमित रूप से ताड़ासन का अभ्यास करने से पैरों के मसल्स को मज़बूती मिलती है और शरीर में ब्लड का फ्लो बना रहता है। इससे मांसपेशियों में लचीलापन बढ़ने लगता है और टांगों का दर्द कम होने लगता है। इसके अभ्यास से शरीर में एनर्जी का स्तर मेंटेन रहता है
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जानें ताड़ासन करने का तरीका
- मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों टांगों को घुटनों से सीधा कर ले। अब रीढ़ की हड्डी को सीधा करें और गहरी सांस लें।
- इसके बाद दोनों बाजूओं को उपर की ओर लेकर जाएं और हथेलियों को आपस में जोड़ लें। शरीर को उपर की ओर खींचें।
- अब एड़ियों को उठाएं और पैरों की उंगलियों के सहारे खड़े हो जाएं। शरीर की क्षमता के अनुसार इस मुद्रा में बने रहें।
- सांस रिलीज़ करें। फिर एड़ियां नीचे लेकर आएं और शरीर को ढ़ीला छोड़ दें।
3. उत्कटासन (Chair pose)
उत्कटासन को चेयर पेज़ भी कहा जाता है। घुटनों को मोड़कर किए जाने वाले इस योगासन से शरीर में रक्त का प्रवाह नियमित बना रहता है, जो शरीर को हेल्दी और एक्टिव बनाए रखने में मदद करता है। इससे एड़ियों के दर्द से राहत मिल जाती है।
जानें उत्कटासन करने का तरीका
- इसे करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों टांगों को आपस में जोड़कर रखें। गहरी सांस लें।
- उसके बाद घुटनों को आगे की ओर पुश करें और शरीर को चेयर पोज़ में लेकर आएं। दोनों बाजूओं को आगे की ओर रखें।
- शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए बाजूओं को सीधा कर लें। इसके बाद दोनों हथेलियों को आपस में जोड़ लें।
- इससे पीठ दर्द से भी राहत मिलने लगती है और एड़ियों पर बढ़ने वाला दबाव कम होने लगता है।
4. अधोमुखशवासन
शरीर में लचीलेपन को बढ़ाने के अलावा पैरों में बढ़ने वाली स्टिफनेस को अधोमुखशवासन की मदद से दूर किया जा सकता है। इससे शरीर में बढ़ने वाली थकान और आलस्य से मुक्ति मिलती है। साथ ही कमर पर जमा फैट्स को भी बर्न किया जा सकता है।
जानते हैं अधोमुखशवासन करने का तरीका
- इसे करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों के मध्य हल्की दूरी बना रखें और दोनों बाजूओं को उपर की ओर रखें।
- इसके बाद शरीर को कमर से आगे की ओर झुकाएं और दोनों बाजूओं को जमीन पर रखें और हथेलियों को जमीन से चिपकाएं।
- अब शरीर को वी आकार में लेकर आएं। इस दौरान हिप्स को बाहर की ओर पुश करें। योग के समय सांस पर नियंत्रण बनाए रखें।
- 30 सेकण्ड से 1 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें।
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