मजबूत कोर न होने से आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द, बैड पोश्चर और वेटगेन का सामना करना पड़ सकता है। क्रंचेस को करने के लिए जिम जाने या किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। निरंतर अभ्यास करने से पीठ, चेस्ट व कंधों के मसल्स को मज़बूती मिलती है।
हेल्दी और फिट बॉडी के लिए अक्सर क्रंचेस एक्सरसाइज़ करने का सुझाव दिया जाता है। इस बॉडी वेट एक्सरसाइज से कोर मसल्स को टोन करने में मदद मिलती हैं और वेटलॉस में भी फायदेमंद साबित होती है। खासतौर ये एक्सरसाइज़ उन लोगों के लिए बेहद कारगर है, जो न केवल पेट पर जमा जिद्दी चर्बी को कम करना चाहते हैं बल्कि सिक्स पैक एब्स भी बनाना चाहते हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इस आसान एक्सरसाइज़ का अभ्यास आवश्यक है। सबसे पहले जानते हैं क्रंचेस एक्सरसाइज़ के फायदे और फिर इसे करने का तरीका भी (Crunches Benefits)।
क्रंचेस क्यों है शरीर के लिए फायदेमंद (Crunches Benefits)
शरीर में कोर मसल्स ऊपरी और निचले शरीर को जोड़ने वाली एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। रोज़मर्रा के कार्यो के लिए मजबूत कोर की आवश्यकता होती है। फिटनेस एक्सपर्ट डॉ गरिमा भाटिया का कहना है कि मजबूत कोर न होने से आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द, बैड पोश्चर और वेटगेन का सामना करना पड़ सकता है। क्रंचेस एक्सरसाइज़ को करने के लिए जिम जाने या किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। इसका निरंतर अभ्यास करने से लव हैंडल्स पर जमा फैट्स बर्न होने लगता है और पीठ, चेस्ट व कंधों के मसल्स को मज़बूती मिलती है। क्रंच से एब्डोमिनल मांसपेशियों को टोन करने में मदद मिलती है (Crunches Benefits)।

क्रंचेस के लाभ Benefits of Crunches)
1. पेट की चर्बी करे कम
एनआईएच की रिसर्च के अनुसार 10 मिनट के क्रंचेस से 50 से ज़्यादा कैलोरी को बर्न किया जा सकता हैं। इसकी मदद से पेट के मसल्स मज़बूत बनते है, जिससे पेट मे एकत्रित होने वाली हानिकारक आंतरिक चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। इससे बॉडी स्लिम पतला और टोंड नज़र आती है
2. रीढ़ की हड्डी की मज़बूती को बढ़ाए
नियमित रूप से क्रंचेस करने से (Crunches Benefits) न कोर मसल्स की मज़बूती बढ़ने लगती है। इससे पीठ में बढ़ने वाला दर्द और थकान को कम किया जा सकता है। क्रंचेस करने के दौरान शरीर के ऊपरी हिस्से से लेकर टांगों में खिंचाव बढ़ने लगता है, जिससे शरीर में संतुलन बना रहता है।
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3. गट हेल्थ को बनाए मज़बूत
क्रंचेस में पेट की मांसपेशियों पर बढ़ने वाले दबाव से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होने लगता है और आंतों की कार्य प्रणाली में सुधार आने लगता है। इससे पाचनतंत्र उचित बना रहता है, जिससे बॉवल मूवमेंट नियमित रहता है और खाना आसानी से पच जाता है।

4. कोर मांसपेशियों का बढ़ना
क्रंच से जहां शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है, तो वहीं शरीर में बढ़ने वाली ऐंठन और तनाव से भी राहत मिल जाती है। गर्दन, पीठ और कूल्हे की मांसपेशियों में लचीलापन बढ़ने लगता है। क्रंच का नियमित अभ्यास हिप्स की मांसपेशियों को फैलाने और उन्हें गतिशील बनाए रखने में मदद करता है।
क्रंचेस एक्सरसाइज़ के लिए इन विकल्पों को चुनें (Types of Crunches)
1. एंकल टच क्रंचेस (Ankle touch crunches)
इसे करने के लिए मैट पर सीधे लेट जाएं और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें। अब दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ लें। उसके बाद बाजूओं को सीधा करें और हथेलियों को पैरों के नज़दीक रखें। इसमें शरीर का बाई ओर झुकाएं और बाएं हाथ को एंकल से टच करें। उसके दाई ओर झुकें, फिर दाहिने हाथ से एड़ी को छुएं। शरीर की क्षमता के अनुसार इस एक्सरसाइज़ का अभ्यास करें। इससे पेट के मसल्स मज़बूत बनते हैं।
2. बाइसिकल क्रंचेस (Bicycle crunches)
मसल्स की टोनिंग के लिए बाइसिकल क्रंचेस फायदेमंद (Crunches Benefits) साबित होते हैं। इसके लिए मैट पर लेट जाएं और दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़ते हुए पीछे की ओर रखें। सिर के नीचे हाथों को टिकाते हुए टांगों से साइकलिंग करें। इस दौरान एक टांग को नीचे और एक उपर की ओर लेकर जाएं। इससे कोर मसल्स को फायदा मिलता है।

3. वाइड साइड क्रंचेस (Wide side crunches)
वाइड साइड क्रंच को स्टैडिंग साइड क्रंच भी कहा जाता है। इसे करने से कमर पर जमा चर्बी को बर्न करने और पेट के मसल्स में टाइटनेस बढ़ने लगती है। इसे करने के लिए मैट पर सीधा खड़े हो जाएं और टांगों के मध्य दूरी बनाकर रखें। उसके बाद दोनों बाजूओं को कोहनी से मोड़ते हुए उपर की ओर लेकर जाएं। अब दाई टांग को उपर उठाएं और दांए घुटने पर लगाएं। उसके बाद बाई टांग को उपर उठाएं और बाएं घुटने पर लगाएं।
4. क्रासओवर क्रंचेस (Crossover crunches)
इसे करने के लिए मैट पर ले जाएं और दोनों बाजूओं को मोड़ते हुए सिर के पीछे रख लें। अब शरीर को उपर की ओर उठाएं और दाई ओर मुड़े और साथ में बाई टांग को घुटने से मोड़ते हुए कोहनी से लगाएं। इसी प्रकार दाईं टांग को उपर उठाएं। शरीर की क्षमता के अनुसार बारी बारी से दोनों टांगों से इस एक्सरसाइज़ का अभ्यास करें।
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