महिला अधिकारों की बात करती ज्यादातर फिल्मों में अंत या तो घर छोड़ने से होता है या तलाक से। जबकि यह किसी भी विवाद का समाधान जगह छोड़ देना नहीं होता। तब जब कोई आपके हित की बात नहीं कर रहा, आप अपनी आवाज़ कैसे उठा सकती हैं, आइए जानते हैं।
मिसेज मूवी के क्लिप्स सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा ट्रेंड कर रहे हैं। इस मूवी में समाज की एक कड़वी सच्चाई दिखाई गई है, की हमारे पुरुष प्रधान देश में महिलाओं की क्या जगह है। हालांकि, समाज और दुनिया में काफी बदलाव आया है, परंतु आज भी कई घर, गांव, कस्बे और क्षेत्र ऐसे हैं, जहां लोगों की सोच और महिलाओं की स्थिति में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। इस मूवी के शुरुआत में एक लड़की को ब्याह कर अपने घर लाया जाता है, और समय के साथ उसके बारे में बिना सोचे समझे ससुराल वाले और पति अपनी सारी अपेक्षाएं उसपर थोप देते हैं।
आखिर में दिखाया गया है कि किस तरह महिला गुस्से में आकर अपने पति के मुंह पर गंदा पानी फेंकती है और घर से चली जाती है। ऐसी स्थिति हमारे साथ न केवल घर के अंदर बल्कि घर के बाहर, दफ्तर में या कहीं और भी उत्पन्न हो सकती है, जब लोग हमारे विरुद्ध हों, और हमें अपने लिए खड़ा होना हो। अपने लिए स्टैंड लेना बहुत जरूरी है, परंतु जरूरी नहीं की हर बार वायलेंट तरीका अपनाया जाए (how to stand yourself)। कई बार शांति और समझ के साथ भी बात रखने से काम निकल सकता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स बताएंगे, जिनकी मदद से आप परेशानी में बगैर हिंसा के भी अपने लिए स्टैंड ले सकती हैं (how to stand yourself)।
कभी-कभी यह मुश्किल हो सकता है, लेकिन अगर आप खुद को खुलकर और ईमानदारी से व्यक्त करना सीख जाते हैं, तो ऐसा लगेगा जैसे आपके कंधों से कोई बोझ उतर गया हो। अक्सर, हम एक अधूरी मुस्कान के पीछे छिप जाते हैं और जो हम सोचते हैं उसे कहने के बजाय सिर हिला देते हैं।
इसके लिए अभ्यास की ज़रूरत होती है, लेकिन आप जो महसूस कर रही हैं या सोच रही हैं, उसके बारे में प्रामाणिक और खुला होना सीखना पहला कदम है। एक बार जब आप बिना ज़्यादा रक्षात्मक बने अपनी बात कहने की आदत डाल लेते हैं, तो लोग आपकी बात सुनना शुरू कर देते हैं।
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अगर आप अपनी जरूरत और अपनी भावनाओं को लेकर दूसरों के सामने खुलकर बात नहीं कर पाती हैं, तो अपने लिए खड़े होने के लिए छोटे कदम उठाना शुरू करें। यहां तक कि सिर्फ़ आत्मविश्वास से चलना सीखना, बात करते वक्त सिर ऊंचा रखना, कंधे पीछे रखना, आपको ज़्यादा आत्मविश्वासी दिखने और महसूस करने में मदद करेंगे।
दूसरों के साथ व्यवहार करते समय अपना आत्मविश्वास बनाएं रखें, इस प्रकार आप सामने वाले व्यक्ति को बिना बुरा महसूस करवाएं अपनी बात रख सकती हैं। यह रवैया आपके जीवन के सभी क्षेत्रों पर लागू हो सकता है। अगर आपको कोई व्यक्ति बार-बार आपके काम को लेकर रोक टोक कर रहा है, और आप नाराज़ महसूस कर रही हैं? तो पहले विनम्रता से उन्हें ऐसा न करने के लिए कहें, और बताएं कि ये आपकी व्यक्तिगत पसंद है। यदि वे फिर भी न मानें तो उन्हें बताएं कि आप काम बंद नहीं कर सकती।
यह एक छोटी बात लग सकती है। पर न कहने से आधा से ज्यादा परेशानी खुद व खुद कम हो जाती है। लेकिन उन चीजों के लिए ‘नहीं’ कहना जिन्हें आप नहीं करना चाहते या जिनसे आपको असहजता है, बहादुरी का काम है। यह दूसरों के साथ स्वस्थ सीमा निर्धारित करने का एक आसान तरीका भी है। ‘नहीं’ कहना मुश्किल हो सकता है क्योंकि आप इसके प्रति लोगों के व्यवहार को लेकर चिंतित महसूस कर सकती हैं।
‘नहीं’ कहने के कई ऐसे तरीके हैं, जो दूसरों के लिए विनम्र और सम्मानजनक हो सकते हैं और आप इन्हें अलग-अलग स्थितियों के हिसाब से ढाल सकती हैं। जैसे, ‘मैं मदद करना पसंद करूंगा, लेकिन मैं पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं’ या ‘मेरे बारे में सोचने के लिए धन्यवाद, लेकिन किसी कारण बस मैं अभी ऐसा नहीं कर सकती’।
वास्तविकता को समझे बगैर, किसी भी कार्य को करने के लय में आगे बढ़ते जाना, व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकता है। बेशक, किसी ऐसी चीज या व्यक्ति का सामना करने का साहस जुटाना जो आपको परेशान कर रहा है, डरावना लग सकता है। लेकिन समस्या का सामना करने से आप इसे बेहतर बनाने के लिए सशक्त होंगे और इससे आप पर इसका नियंत्रण कम हो जाएगा।
याद रखें, लोग आपका दिमाग नहीं पढ़ सकते हैं, अगर आप अपनी परेशानी के बारे में खुलकर नहीं बताते हैं, तो कोई नहीं जान पाएगा। इसलिए घर में या दफ्तर में हर जगह अपनी परेशानी एवं दिक्कतों को लेकर स्पष्ट रूप से मौखिक रहने का प्रयास करें।
बहुत से लोगों को सीधा सामने वाले पर अटैक करना अच्छा लग सकता है, खासकर जब कोई व्यक्ति सही होता है, तो वह ऐसा जरूर करता है। परंतु इससे सामने वाले के साथ-साथ आपकी मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। लेकिन भावनाओं में बहकर प्रतिक्रिया करने की इच्छा को रोकना ज़रूरी है। इसके बजाय, एक गहरी सांस लें और शांति से उन्हें अपना दृष्टिकोण समझाने का प्रयास करें। आक्रामक लहजे या आरोप लगाने वाले शब्दों से बचें। स्पष्ट करें कि आपका क्या मतलब है, और उनकी प्रतिक्रिया सुनें। तभी वास्तविक चर्चा शुरू हो सकती है।
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