पीरियड के दौरान ज्यादा मात्रा में चाय का सेवन करने से पेट में एसिडिटी, ब्लोटिंग और अपच का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा इसका ड्यूरेटिक प्रभाव होने के चलते फ्रीक्वेंट यूरिनेशन का भी सामना करना पड़ता है।
पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव नज़र आते है। यूट्रस कॉन्ट्रैक्ट के चलते जहां जांघों और कमर में दर्द की स्थिति बनी रहती है। वहीं हार्मोनल बदलाव मूड स्विंग की समस्या को बढ़ा देते है। ऐसे में खानपान का ख्याल रखने के अलावा शरीर को गर्माहट प्रदान करने के लिए चाय का सेवन करती हैं। हांलाकि इससे मांसपेशियों में उठने वाला दर्द कम होने लगता है। मगर बार बार चाय का सेवन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। जानते हैं पीरियड के दौरान चाय पीना (tea effect on periods) स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है या नही।
डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि पीरियड साइकल (tea effect on periods) के दौरान महिलाओं को चाय का सेवन करने से पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से राहत मिल जाती है। दरअसल, शरीर को गर्माहट प्रदान करने वाली चाय से मसल्स कांट्रेक्शन को कम किया जा सकता है और सूदिंग इफेक्ट की प्रापित होती है। मगर साथ ही ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से पेट में एसिडिटी, ब्लोटिंग और अपच का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा इसका ड्यूरेटिक प्रभाव होने के चलते फ्रीक्वेंट यूरिनेशन (tea effect on periods) का भी सामना करना पड़ता है। जानते हैं ज्यादा चाय पीना स्वास्थ्य को किस तरह से पहुंचा सकता है नुकसान।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च के अनुसार मासिक धर्म के दौरान चाय पीने से कैटेचिन और टैनिक एसिड की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है, जो आयरन के एबजॉर्बशन को कम करता हैं। इस प्रकार आयरन के अवशोषण में बाधा डालने का काम करते हैं। ऐसे में चाय पीने से बचना चाहिए।
चाय में कैफीन की उच्च मात्रा पाई जाती है, जिससे उसका प्रभाव डयूरेटिक होने लगता है और शरीर में वॉटर एक्सक्रीशन का सामना करना पड़ता है। इसके चलते फ्रीक्वेंट यूरिनेशन की समस्या बढ़ जाती है, जो मासिक धर्म के दौरान असुविधा का कारण साबित होता है।
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चाय का सेवन करने से ब्रेन एक्टिव हो जाता है, जिससे अनिद्रा की समस्या बढ़ने लगती है। पीरियड साइकल के दौराप महिलाओं को क्रैम्प की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में शरीर को आराम पहुंचाने के लिए हेल्दी नैप्स और भरपूर नींद आवश्यक है। अधिक चाय का सेवन नींदमें बाधा उत्पन्न करने लगता है।
ज्यादा मात्रा में चाय का सेवन करने से गट मोटिलिटी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते पेट फूलने लगता है और असुविधा बढ़ने लगती है। इससे वॉटर रिटेंशन का भी सामना करना पड़ता है। पीरियड के दौरान चाय पीने से ब्लोटिंग और अपच का सामना करना पड़ता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कैफीन से शरीर में एस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ने लगता है। इससे हार्मोन असंतुलन बढ़ने लगता है। इससे प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम, हैवी पीरियड और स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ने लगता है। दरअसल, कैफीन एरोमाटेज़ एंजाइम को बाधित करने लगता है, जो एण्ड्रोजन को एस्ट्रोजन में परिवर्तित करने का काम करता है।
ब्लीडिंग के चलते शरीर में फ्लूइड का स्तर कम होने लगता है। ऐसे में चाय का सेवन करने से यूरिनेशन बढ जाता है। इसके चलते पानी की कमी शरीर में बढ़ने लगती है, जिसके चलते घबराहट, सिरदर्द और थकान का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में चाय को पानी या फिर लेमन व ग्रीन टी से रिप्लेस करे।
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