चक्रासन का अभ्यास करने से शरीर में रक्त का संचार नियमित हो जाता है, जिससे शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है। साथ ही हड्डियों की मज़बूती बढ़ने लगती है और वेटलॉस में भी मदद मिलती है। इस योग मुद्रा को करने के लिए इन स्टेप्स को करें फॉलो।
अक्सर देर तक बैठना और वर्कआउट की कमी रीढ़ की हडडी में स्टिफनेस का कारण बनने लगती है, जिससे कमर में दर्द और उठने बैठने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। अक्सर लोग दर्द दूर करने के लिए घेरूल नुस्खों और कई प्रकार की थेरीपीज़ की मदद लेते हैं। मगर उस समस्या का समाधान नहीं हो पाता है। ऐसे में योग मुद्राओं की मदद से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन नियमित हो जाता है, जो किसी भी प्रकार की ऐंठन और मसल्स में बढ़ने वाले तनाव से छुटकारा दिलाने में कारगर साबित होती हैं। इन्ही योगासनों में से एक है चक्रासन। जानते हैं रीढ़ की हड्डी की मज़बूती के लिए किस तरह से चक्रासन होता है मददगार साबित (Chakrasana benefits) ।
चक्रासन किसे कहते हैं (What is Chakrasana)
चक्रासन (Chakrasana benefits) को अंग्रेज़ी में व्हील पोज़ कहा जाता है, जो चक्र मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस योगासन को करने के लिए शरीर को पीछे की ओर झुकाया जाता है और शरीर एक पहिए का रूप धारण कर लेता है। ये योग मुद्रा अष्टांग योग की प्राइमरी सीरीज का ही एक हिस्सा है। योग एक्सपर्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हैं कि चक्रासन (Chakrasana benefits) का अभ्यास करने से शरीर में रक्त का संचार प्रभावित होता है, जिससे शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है। साथ ही हड्डियों की मज़बूती बढ़ने लगती है और वेटलॉस में भी मदद मिलती है।
सुबह उठकर नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी की मज़बूती बढ़ती है और दिनभर एनर्जी का लेवल बना रहता है। वे लोग अस्थमा से ग्रस्त है, उनकी श्वसन क्रिया में सुधार आने लगता है। इससे लंग्स की फंक्शनिंग को बढ़ावा मिलता है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ने लगती है।

चक्रासन के फायदे (Chakrasana benefits)
1. शरीर में लचीलेपन को बढ़ाए
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिसर्च के अनुसार पीछे की ओर मुड़कर किए जाने वाले योगासनों के अभ्यास से 50 वर्ष की आयु के अधिकतर लोगों के शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है। इससे दर्द और ऐंठन से राहत मिलने लगती है। इससे मांसपेशियों में बढ़ने वाले तनाव और रीढ़ की हड्डी की जकड़न को आसानी से कम किया जा सकता है।
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2. हड्डियों की मज़बूती को बढाए
वे लोग जिन्हें घुटनों व टांगों में दर्द की समस्या बनी रहती है। उनके लिए भी ये बेहद कारगर है।नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अन्य रिसर्च के अनुसार 12 सप्ताह तक रोज़ाना व्हील पोज़ का अभ्यास करने से मांसपेशियों की ताकत में सुधार देखने को मिलता है। इससे शरीर का संतुलन बना रहता है और आत्मिक शांति व आत्मविश्वास बढ़ने लगता है।

3. ऊर्जा में होगी बढ़ोतरी
दिन में दो बार चक्रासन का अभ्यास करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है। पीछे की ओर झुककर की जाने वाली मुद्रा से शरीर में एड्रेनालाईन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे तनाव से राहत मिलती है। इससे शारीरिक और मानसिक थकान कम होने लगती है, जिससे शरीर में एनर्जी का लेवल बढ़ने लगता है।
4. फेफड़ों की क्षमता में लाए सुधार
इसका अभ्यास करने से फेफड़ों की क्षमता में सुधार आने लगता है। इससे डायाफ्राम की गति बढ़ने लगती है और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगता है। इससे कोशिकाओं को मज़बूती मिलती है औश्र बॉडी फंक्शनिंग में सुधार आने लगता है। साथ ही सांस फूलने और सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है।
5. पेट की मांसपेशियों के लिए फायदेमंद
इससे पेट के मसल्स में खिंचाव आने लगता है, जिससे पेट के आसपास जमा चर्बी को बर्न किया जा सकता है। साथ ही मेटाबॉलिज्म बूस्ट होने लगता है। व्हील पोज़ का अभ्यास करने से पाचनतंत्र सुचारू बना रहा है और एसिडिटी की समस्या से भी बचा जा सकता है।

6. नींद न आने की समस्या होगी हल
वे लोग जो तनाव के चलते अनिद्रा का शिकार रहते हैं, उन्हें नियमित रूप से इस चक्रासन का अभ्यास करना चाहिए। इससे शरीर में बढ़ने वाली ऐंठन से राहत मिलती है और नींद न आने की समस्या से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा एकाग्रता बढ़ने लगती है और याद स्मरण शक्ति में भी सुधार आने लगता है।
जानें चक्रासन करने का तरीका (Chakrasana steps)
- इसे करने के लिए सबसे पहले मैट पर सीधा लेट जाएं। अब दोनों टांगों के मध्य दूरी बनाकर रखें और घुटनों से मोड़ लें।
- उसके बाद दोनों बाजूओं को कोहनी से मोड़ते हुए पीछे की ओर लेकर जाएं और हथेलियों को जमीन से लगाकर रखें।
- अब शरीर को कमर से उपर की ओर उठाने का प्रयास करें। धीमी गति से उपर की ओर आएं। शुरूआत में किसी ट्रेनर की मदद ले सकते हैं।
- शरीर व्हील पोज़ में आने लगता है और थकान कम होने लगती है। क्षमता के अनुसार शरीर को इसी पोज़ में बनाए रखें और फिर नीच की ओर आएं।
- अब धीरे धीरे कमर से शरीर को नीचे लेकर आएं और मैट पर लेट जाएं। इसका नियमित अभ्यास शरीर को फायदा पहुंचाता है।