उच्च तनाव स्तर वाले या नींद की कम गुणवत्ता एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ा देता है। रिसर्च के अनुसार वृद्ध वयस्कों और महिलाओं में ये समस्या मुख्य रूप से पाई जाती है। इसके अलावा कॉलेज जाने वाले बच्चों में भी ये समस्या देखने को मिलती है।
तनाव का बढ़ता स्तर जहां दिनचर्या को कई तरीके से प्रभावित करता है, तो वहीं उससे रात की नींद में भी बाधा आने लगती है। इसी के चलते अधिकतर लोगों में रात में चलने और बोलने की आदत देखने को मिलती है। मगर इन सभी चीजों से परे कुछ लोगों को रात में सोते वक्त अचानक से सिर का चकराना, तेज़ दर्द और कुछ टूटने की आवाज गहरी नींद के बीच में से जगा देती है। हैरत की बात ये है कि इन सभी ध्वनियों को केवल वे अकेले ही सुन व महसूस कर पाते हैं। ऐसे में तन और मन का झुंझलाहट से भर जाना पूरी तरह से सामान्य है। दरअसल, इस स्थिति को एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम कहा जाता है। इस स्लीप डिसऑर्डर के कारण नींद में बाधा आने लगती है। जानते हैं एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम (Exploding Head Syndrome) क्या है और इससे राहत पाने के उपाय।
एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम किसे कहा जाता है (Exploding Head Syndrome)
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम यानि ईएचएस एक स्लीप डिसऑर्डर है, जिसके तहत व्यक्ति को अपने सिर में तेज़ आवाज़ या विस्फोटक दुर्घटना की आवाज़ सुनाई देती है। इस समस्या को एपिसोडिक क्रेनियल सेंसरी शॉक भी कहा जाता हैं। हांलाकि इस स्थिति को पैरासोमनिया भी कहा जाता है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों को सुनाई देने वाली आवाजें, पूरी तरह से काल्पनिक होती हैं। बार बार इस स्थिति का सामना करने पर डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।

एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम के लक्षण (Signs of Exploding Head Syndrome)
- सेंसरी न्यूरॉन्स को बनाने वाले बेन के हिस्सों में अचानक अनजानी इलेक्ट्रिकल एक्टीविटी महसूस होना
- इनर इयर का क्षतिग्रस्त हो जाना और समस्याओं का भी सामना करना। साथ ही कान में झनझनाहट का बने रहना।
- गहरी नींद के बावजूद नींद अचानक से खुल जाना और सिरदर्द की समस्या बने रहना।
- तनाव, डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर का बने रहना
एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम बढ़ने के कारण (Causes of Exploding Head Syndrome)
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनसुर एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो अनजाने भय और चिंता से संबंधित है। उच्च तनाव स्तर वाले या नींद की कम गुणवत्ता एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ा देता है। रिसर्च के अनुसार वृद्ध वयस्कों और महिलाओं में ये समस्या मुख्य रूप से पाई जाती है। इसके अलावा कॉलेज जाने वाले बच्चों में भी ये समस्या देखने को मिलती है।
एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम से कैसे करें बचाव (Tips to deal with Exploding Head Syndrome)
इस बारे में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ विनीत बांगा बताते हैं कि एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम के दौरान सेंसिज़ पूरी तरह से शट डाउन हो जाती है। दरअसल, सोने के बाद सभी चीजें सेंस नहीं कर सकते है क्यों कि नींद में व्यक्ति इंद्रियों से पूरी तरह से डिसकनेक्ट हो जाता है। अगर सेंसिज पूरी तरह से डिसकनेक्ट नहीं होती है, तो अचानक ब्रेन में शोर महसूस होने लगता है, जिसे एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम कहा जाता है। वे लोग जो तनाव से ग्रस्त होते हैं, उनमें इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है।
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1. तनाव से दूर रहें
सबसे पहले अपने डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी के कारणों को जान लें। उसके बाद दिमाग को शांत रखने के लिए मेडिटेशन, व्यायाम और ऐसी एक्टीविटीज़ में खुद को मसरूफ कर लें, ताकि मानसिक स्वास्थ्य को सुकून की प्राप्ति हो सके।
2. दवाएं लें
स्लीप डिसऑर्डर से राहत पाने के लिए कैल्शियम चैनर ब्लॉकर समेत कई दवाएं दी जाती है। इसके अलावा नींद की दवाएं भी इसमें बेहद मददगार साबित होती है।
3. स्लीप हाइजीन को करें मेटेन
जीवन में हाइजीन को मेंटेन करने के अलावा सोते वक्त भी कुछ बातों का ख्याल रखना आवश्यक है। इसके लिए सोने से पहले आसपास अंधेरा कर लेंऔर फोन से दूर रहें। इसके अलावा डिसटर्बेंस से भी खुद को बचाकर रखें एनआरइएम और आरइएम स्लीप साइकिल के बारे में जानें।

4. दिनभर एक्टिव रहें
सिडेंटरी लाइफस्टाइल मेंटल हेल्थ की चिंताओं को बढ़ा देता है। ऐसे में दिन की शुरूआत व्यायाम से करें। इसके अलावा कार्य के दौरान बीच बीच में ब्रेक अवश्य लेना चाहिए।