
कैंसर की दवाओं का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, पिछले कुछ सालों में खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.

नई और उन्नत कैंसर चिकित्सा अक्सर उच्च कीमत के साथ आती हैं, जो समग्र लागत में योगदान करती हैं.

कैंसर की दवा पर अधिकांश खर्च संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान जैसे विकसित देशों में केंद्रित है.

कैंसर जानलेवा बीमारी है. एक साल पहले आई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से संबंधित संसदीय कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया था कि कैंसर इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी की सुविधा करीब 20 फीसदी मरीजों को ही मिल पाती है, जबकि WHO का कहना है कि हर 10 लाख की आबादी पर एक रेडियोथेरेपी मशीन होनी चाहिए.

इस हिसाब से देश में करीब 1,300 रेडियोथेरेपी मशीनों की आवश्यकता है लेकिन करीब 700 मशीनें ही हैं, ऐसे में काफी दिक्कतें होती हैं। इसके अलावा सरकारी और प्राइवेट मिलाकर करीब 250 हॉस्पिटल में ही रेडियोथेरेपी हो पाती है, इसमें भी 200 तो सिर्फ प्राइवेट अस्पताल है, जहां का इलाज काफी महंगा है.

कैंसर कई तरह के होते हैं. ऐसे में हर एक कैंसर की दवा और इलाज का खर्च अलग-अलग होता है. अगर एक एवरेज लें तो रिपोर्ट्स के आधार पर कैंसर का इलाज 2,80,000 रुपए से लेकर 10,50,000 रुपए तक होता है. हालांकि, यह खर्च कैंसर के स्टेज और जगह के आधार पर कम या ज्यादा हो सकता है. रोबोटिक सर्जरी करवाने का खर्चा करीब 5.25 लाख रुपए आता है. भारत में कीमोथेरेपी करना का खर्च कैंसर की गंभीरता के आधार पर हर बार का करीब 18,000 रुपए है.
Published at : 15 Feb 2025 07:35 PM (IST)