हाल ही में हुए रिसर्च से पता चलता है कि दिल और दिमाग सहित इंसान के ऑर्गन में माइक्रोप्लास्टिक जमा हो रहे हैं. जिसके कारण कई सारी स्वास्थ्य हो सकती है. माइक्रोप्लास्टिक से हमारा अर्थ है प्लास्टिक के छोटे टुकड़े ये इतने छोटे होते हैं कि अब यह इंसान के शरीर के विभिन्न भागों में पाए जाते हैं. जिनमें दिल, ब्लड, फेफड़े, लिवर, गुर्दे और अब दिमाग भी शामिल हैं.
रिसर्च में यह बात सामने आई है कि दिमाग के सेल्स में कई सारे माइक्रोप्लास्टिक का पता लगा है. कुछ रिसर्च से पता चलता है कि मस्तिष्क के नमूनों में लिवर और गुर्दे के नमूनों की तुलना में दिमाग में काफी ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक मिले है. जबकि मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक के लॉन्ग टर्म नुकसान होते हैं. जो दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट पैदा करती है.
माइक्रोप्लास्टिक का दिमाग पर क्या होता है असर?
माइक्रोप्लास्टिक का दिमाग पर कितने दिनों तक असर होता है इस पर रिसर्चर किया जा रहा है. इससे कुछ संभावित जोखिम भी बढ़ते हैं. इसके कारण दिल से जुड़ी बीमारी से लेकर न्यूरॉन संबंधी समस्याएं भी होती है. माइक्रोप्लास्टिक दिमाग और ब्लड के बीच में रुकावट पैदा करती है. जिसके कारण दिमाग के अंदर ब्लड सर्कुलेशन को भी काफी ज्यादा प्रभावित करता है.
एक्सपोजर के सोर्स: माइक्रोप्लास्टिक विभिन्न मार्गों से शरीर में प्रवेश कर सकता है, जिसमें भोजन, पानी, हवा और यहां तक कि प्लास्टिक चिकित्सा उपकरण भी शामिल हैं.
इस दिशा में और भी रिसर्च की जरूरत है
शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के संचय की सीमा, उनके संभावित स्वास्थ्य प्रभावों और एक्सपोजर को कम करने के तरीके को पूरी तरह से समझने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है.पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक अध्ययन में हृदय की सर्जरी करवाने वाले रोगियों के दिलों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया.
नेचर मेडिसिन में पब्लिश एक रिसर्च में पाया गया कि मस्तिष्क के नमूनों में अन्य अंगों की तुलना में कहीं अधिक माइक्रोप्लास्टिक था.चीन में शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में हृदय और मस्तिष्क की धमनियों से शल्य चिकित्सा द्वारा निकाले गए रक्त के थक्कों में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की सूचना मिली.
एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों के रक्त के थक्कों में माइक्रोप्लास्टिक का स्तर अधिक होता है. उनमें डी-डिमर का स्तर भी अधिक होता है. ब्राजील में एक अध्ययन में शवों के मस्तिष्क के ऊतकों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया, जो घ्राण बल्ब को प्रवेश बिंदु के रूप में इंगित करता है.
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ब्रेन में जमा हो रहा है माइक्रोप्लास्टिक
सीएनएन में आई की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में रिसर्चस ने डेडबॉडी के परीक्षण में ह्यूमन ब्रेन के कई सैंपल लिए थे और फिर इसमें माइक्रोप्लास्टिक को लेकर रिसर्च की. इस रिसर्च में पता चला कि 8 साल पहले लिए गए सैंपल की तुलना में ह्यूमन ब्रेन में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा 50 प्रतिशत ज्यादाो चुके हैं. रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि जिनकी औसत उम्र 45 या 50 वर्ष थी, उनके ब्रेन टिश्यूज में प्लास्टिक कंसंट्रेशन 4800 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम यानी वजन के हिसाब से 0.5% थी.
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