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World Cancer day If someone in your family died of cancer then you should definitely get this test done

February 4, 2025 | by एबीपी लाइव

World Cancer Day: कैंसर एक ऐसी बीमारी बन चुकी है, जिसने दुनिया के हेल्थ सेक्टर को झकझोर कर रख दिया है. हर साल भारत समेत दुनियाभर में करोड़ों लोग इस खतरनाक बीमारी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं. वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल के अनुसार, दुनिया के सबसे ज्यादा कैंसर के मामले चीन में हैं, जहां 48 लाख लोग कैंसर से पीड़ित हैं. इस लिस्ट मे दूसरा नाम अमेरिका का है, जहां करीब 23 लाख लोग कैंसर का शिकार हैं. भारत भी इस लिस्ट में 14 लाख मामलों के साथ तीसरे नंबर पर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के की रिपोर्ट कहती है कि 2022 में पूरी दुनिया में 2 करोड़ से ज्यादा कैंसर के मामले थे, वहीं मरने वालों की संख्या 97 लाख थी.

कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है. इस मुख्य उद्देश्य कैंसर से लोगों का बचाव और मौतों को कम करना है. इस मौके पर हम आपको आनुवांशिक कैंसर के बारे में बताएंगे. अगर परिवार में किसी की कैंसर जैसी बीमारी के कारण मौत हुई है तो अन्य लोगों को कैंसर होने की कितनी आशंका है, ऐसे में किस टेस्ट के जरिए कैंसर की जांच करवाई जा सकती है. 

क्या आनुवांशिक होता है कैंसर?

कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होती हैं. यानी माता-पिता से बच्चों में जाती हैं. जैसे डायबिटीज और अस्थमा. ये दोनों बीमारी ऐसी हैं जिससे अगर परिवार का कोई सदस्य ग्रसित है तो दूसरी पीढ़ी में इस बीमारी के पहुंचने की आशंका बढ़ जाती है, लेकिन क्या कैंसर के मामले में ऐसा है? कहा जाता है कि अगर परिवार में किसी को कैंसर हो चुका है, तो परिवार के अन्य सदस्य भी इसका शिकार हो सकते हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि केवल 10 फीसदी मामले ऐसे ही होते हैं, जिसमें कैंसर पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होता है. कैंसर स्वयं माता-पिता से बच्चों में नहीं पहुंचता है. हालांकि, एक जेनेटिक म्यूटेशन इसका कारण बन सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर कैंसर सेल्स माता-पिता के अंडाणु या शुक्राणु में मौजूद है, तो वह बच्चों में भी जा सकता है.

कैसे करवाएं कैंसर का टेस्ट?

कैंसर की जांच के लिए बायोप्सी टेस्ट को सबसे ज्यादा कारगर माना जाता है. इस दौरान डॉक्टर हमारे शरीर की उन सेल्स में कुछ टिश्यूज निकालकर जांच के लिए भेजते हैं, जिसमें कैंसर के लक्षण दिख रहे होते हैं. यह टेस्ट कैंसर टिश्यूज और नॉन कैंसरस टिश्यूज में फर्क करती है. 

यह भी पढ़ें: कैंसर से बचने के ये हैं पांच सबसे कारगर तरीके, जानें कैसे होता है बचाव

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